बेंगलुरु/नई दिल्ली: सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र के साथ कानूनी लड़ाई के लिए तैयार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को अच्छे परिणाम का भरोसा जताया. उन्होंने यह भी कहा कि संविधान और राज्य पुनर्गठन कानून के तहत कर्नाटक का रुख तर्कसंगत है. उच्चतम न्यायालय में 30 नवंबर को सीमा विवाद से जुड़े एक मामले पर होने वाली सुनवाई के मद्देनजर मुख्यमंत्री नयी दिल्ली में हैं और उन्होंने राज्य के कानूनी पैनल में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के साथ चर्चा की. बोम्मई ने कहा कि मैं सीमा विवाद पर रोहतगी से मिला हूं, महाधिवक्ता ने चीजों की जानकारी दी है. मैंने भी महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी साझा की और हमने कानूनी स्थिति पर चर्चा की. उन्होंने मुझे बताया कि कल के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं.
राष्ट्रीय राजधानी में रोहतगी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र का मामला विचार योग्य है या नहीं, यह महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि 2017 में उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मामले पर विचार करने के संबंध में प्रारंभिक मुद्दों को तय किया था, जिसे महाराष्ट्र द्वारा चुनौती दी गई. इस पर हमारी आपत्तियां या दलील क्या होनी चाहिए, यह तय किया गया है, और हमें विश्वास है कि संविधान तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार कर्नाटक का रुख उचित है. हमें अच्छे परिणाम का भरोसा है.
भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद 1960 के दशक का है. महाराष्ट्र तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा रहे बेलगावी पर दावा करता है क्योंकि यहां मराठी भाषा बोलने वालों की अच्छी खासी आबादी है. महाराष्ट्र ने 80 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं. पिछले कुछ दिनों के दौरान महाराष्ट्र में कर्नाटक के वाहनों से तोड़फोड़, नुकसान के बारे में एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उस राज्य में आंतरिक राजनीति के कारण ऐसी चीजें पहले भी हुई हैं, क्योंकि वहां के राजनीतिक दल सीमा मुद्दे पर अपनी गंभीरता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं.
बोम्मई ने कहा कि मैंने कर्नाटक के गृह सचिव और मुख्य सचिव से महाराष्ट्र में अपने समकक्षों से इस तरह की चीजों को नियंत्रित करने के लिए बात करने को कहा और अब इसे एक हद तक नियंत्रित कर लिया गया है. कर्नाटक की सीमा से लगे महाराष्ट्र के 40 से अधिक गांवों के लोगों की उनसे मिलने की इच्छा के बारे में एक अन्य सवाल पर बोम्मई ने कहा कि इस पर कोई भी निर्णय राज्य के सभी राजनीतिक दलों और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया के इस सवाल को, कि महाराष्ट्र के उन गांवों को कर्नाटक में शामिल क्यों नहीं किया जाता है, जैसा कि वहां के लोग चाहते हैं, बोम्मई ने इसे एक राजनीतिक बयान कहा. बोम्मई ने कहा कि जब वह (सिद्धरमैया) मुख्यमंत्री थे तो इसी तरह का प्रस्ताव पारित हुआ था, तब वह इसमें शामिल क्यों नहीं हुए? दूसरे राज्य के कुछ हिस्सों को शामिल करने के संबंध में कानूनी तौर पर चीजों पर विचार करना होगा. मैं एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री हूं और सब कुछ संवैधानिक और कानूनी ढांचे के भीतर किया जाना है. भाषा एजेंसी