VIDEO: जवाबदेही कानून का रास्ता साफ़ ! बजट सत्र में पास होकर कानून का ले सकेगा रुप, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: कोई भी सेवा नहीं देने या काम नहीं होने को लेकर जवाबदेह अधिकारी के खिलाफ सीधे कार्रवाई के प्रावधान वाले जवाबदेही कानून को लेकर आखिरकार रास्ता साफ हो गया है. तीसरी बार जनता के सुझाव लेने के लिए पब्लिक डोमेन में आए इस बिल के मसौदे को अंतिम रूप मिलने के बाद यह बजट सत्र में पास होकर कानून का रूप ले सकेगा. साल 2011 से जिस पब्लिक सर्विस गारंटी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट का इंतजार था वह समाप्त होने के आसार हैं. दिसम्बर के आखिरी या जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू होने वाले विधानसभा बजट सत्र में आम जनता को जवाबदेही का अधिकार मिलने की संभावना है. इस बिल का मसौदा तीसरी बार सुझावों के लिए वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. 9 नवंबर 2022 तक आम लोगों से इसके बारे में टिप्पणी और सुझाव मांगे गए हैं.    

जवाबदेही कानून की 6 खास बातें:
1. किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान अगर कोई अधिकारी नहीं करता है तो उससे ऊंचे ओहदे का अधिकारी शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त कर पाबंद करेगा.

2. समय सीमा में पीड़ित व्यक्ति की सुनवाई हो सकेगी. इसके बाद आम जनता बेबाक रूप से अपनी बात रख सकेगी.

3. आम आदमी को कलेक्टर,एसडीएम के सामने अपनी बात कहने का मिलेगा अधिकार.

4. अगर आम आदमी के पास संबंधित सेवा या सुविधा पाने के लिए सारे दस्तावेज हैं तो उसे अपने अधिकार अपने आप मिल सकेंगे. 

5. हर सरकारी विभागों या संस्थाओं की सोश्यल ऑडिट का होगा प्रावधान. 

6. काम नहीं होने या सेवा नहीं मिलने के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ होगा जुर्माने का प्रावधान. 

क्या छूट गईं हैं खामियां ? : 
1.पेनल्टी या जुर्माने का प्रावधान तो किया,लेकिन न्यूनतम और अधिकतम कितना जुर्माना लगेगा,यह तय नहीं. जबकि आरटीआई में 250 रुपये हर रोज और 25000 अधिकतम लगता है जुर्माना.

2.जुर्माने का प्रावधान करने पर इसे जिला स्तर पर भी करना जरूरी. जिससे जिला स्तर पर ही काम को लेकर जवाबदेही हो सके तय. 

3. किसी भी काम को करने के लिए समय सीमा का कानूनन प्रावधान जरूरी. 
अभी तक सरकार इस समय सीमा को नियमों में रखने का करना चाहती प्रावधान. इससे बिल लाने की भावना या मंशा नहीं हो सकती सही मायने में पूरी. 

4. अन्य प्रावधान भी नियमों के बजाय कानूनन करना जरूरी.

5.जिला स्तर पर स्वतंत्र आयोग होना जरूरी ताकि वहां की समस्याओं का समाधान हो सके वहीं. जिला स्तर पर आयोग नहीं होने से सारा दबाव उच्च आयोग पर आएगा जिसके चलते समस्या समाधान में देरी होगी. इसके चलते बिल का मूल मकसद हो सकता समाप्त.  

देश और दुनिया का पहला कानून:
-यह देश और दुनिया का ऐसा पहला कानून होगा जिसमें आम जनता की छोटी-बड़ी सेवा या काम पूरी न करने को लेकर अधिकारियों की सीधी जवाबदेही होगी तय. 
-साथ ही सर्विस डिलीवरी का ऊपर से नीचे तक एक पूरा ढांचा या तंत्र बन सकेगा.
-इससे आम आदमी की खुद के हक लेने की हिचक समाप्त हो सकेगी. 

ये होंगे फायदे:
-हर व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान निकालने के खुद जुड़ सकेगा.
-सरकार अपनी जवाबदेही जनता के प्रति रख सकेगी और दिखाएगी कि उनकी किस तरह से जवाबदेही पता है ?
-जो अधिकारी  काम नहीं करते हैंं,लापरवाह है उन्हें यह बिल जवाबदेह बना सकेगा अन्यथा उन्हें होना पड़ेगा दंडित.  

बिल लागू करने के लिए क्या हुआ अब तक:
-अपनी तरह के अनूठे इस कानून की शुरुआत 2011 से हुई थी.
-पहली जवाबदेही यात्रा 1 दिसंबर 2015 से 10 मार्च 2016 तक राज्य के सभी 33 जिलों में निकाली गई थी.

उसके बाद हर वर्ष हुआ आंदोलन:
-20 दिसंबर 2021 से 5 जनवरी 2022 तक दूसरी जवाबदेही यात्रा का प्रथम चरण हुआ.
-5 सितंबर 2022 से 18 सितंबर 2022 तक यात्रा का दूसरा चरण हुआ.
-इन चरणों में लोगों से शिकायत की गईं इकट्ठा.

दरअसल इस कानून का इंतजार इसलिए भी है कि वास्तव में इसे लागू करने के साथ ही सही मायनों में आरटीआई कानून की तस्वीर मुकम्मल हो सकेगी.