जयपुर: ग्रेटर नगर निगम महापौर उपचुनाव में शनिवार को नामाकंन स्क्रूटनी के दिन कांग्रेस के दो अन्य उम्मीदवारों के नामाकन खारिज हो गए. भाजपा की रश्मि सैनी और कांग्रेस की हेमा सिघानिया के बीच सीधा मुकाबला है. वहीं दूसरी और चौमूं में भाजपा पार्षदों की बाडेबंदी जारी है. इधर कांग्रेस ने भी शनिवार शाम मंत्री प्रताप सिंह के आवास पर कांग्रेस के पार्षदों की बैठक बुलाई. बैठक के बाद सभी पार्षदों को बस से मुहाना स्थित एक होटल में बाड़ेबंदी में पहुंचाया गया.
10 नवंबर तारीख को ग्रेटर नगर निगम में होने वाले महापौर चुनाव के लिए अब कांग्रेस अपने उम्मीदवार को महापौर बनाने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रही है. हालांकि कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है, लेकिन भाजपा की गुटबाजी का कांग्रेस फायदा उठाने की जुगत में लगी हुई है. सूत्रों की माने तो कुछ भाजपा पार्षदों से इसको लेकर संपर्क साधा भी गया. वहीं मंत्री प्रताप सिंह ने कहा की भाजपा में कल का घटनाक्रम देखा. हमारे पास नंबर कम है, लेकिन उम्मीद पूरी है. मैदान हमने खाली नही छोड़ा है टक्कर पूरी देंगे.भाजपा का जो भी पार्षद कांग्रेस के खेमे आएगा. उसका सम्मान है और स्वागत है. नंबर गेम में हम पीछे है, गणित बदलती है, जो तेजी से बदलती. पहले 2019 में भी हम निगम में उलटफेर कर चुके.
भाजपा के पार्षद टूटकर आते तो उलटफेर हो सकता.कल से तस्वीर बदली है. आपस में BJP में बिखराव,कांग्रेस इसका फायदा उठाएगी हम चाहते है कांग्रेस की हेमा सिंघानिया चुनाव जीते, लेकिन कितना हम सफल हो पाते है. ये समय बताएगा. महापौर प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से शील धाभाई का रोष तो कल भाजपा मुख्यालय में सभी ने देखा यहां तक कि उनकी बेटी भी खासा नाराज दिखी. अगर शील धाभाई की ये नाराजगी अंत तक बरकरार रहती है तो ये तय है कि कम से कम 4 से 5 पार्षद उनके कहने पर क्रॉस वोटिंग कर सकते है.
सुखप्रीत बंसल महापौर पद की लगभग फाइनल उम्मीदवार थी लेकिन एनवक्त पर उनका नाम कट हो गया मन में कहीं ना कहीं सुखप्रीत बंसल के नाराजगी है. माना जाता है कि झोटवाड़ा जोन सहित अन्य में उनके पास 10 से 12 पार्षद उनके कहने पर क्रॉस वोटिंग कर सकते है. वहीं पूर्व महापौर सोम्या गुर्जर ने पूरे घटनाक्रम पर अपनी दूरी बनाए रखी लेकिन उनके पास भी सांगानेर सहित निर्दलीय पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते है. हालांकि कांग्रेस के पास महापौर बनाने के लिए पर्याप्त पार्षद नहीं है लेकिन भाजपा में गुटबाजी कांग्रेस को फिलहाल मजबूत बना रही है, देखना ये है कि कांग्रेस भाजपा के कितने पार्षदों को तोड़ने में सफल हो पाती है.