Report के मुताबिक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र की सबसे अधिक 248 परियोजनाओं में देरी

Report के मुताबिक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र की सबसे अधिक 248 परियोजनाओं में देरी

नई दिल्ली: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र में देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या सबसे अधिक 248 है. इसके बाद रेलवे की 116 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 88 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. एक सरकारी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

अगस्त, 2022 के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में निगरानी वाली 831 परियोजनाओं में से 248 परियोजनाएं अपने मूल कार्यक्रम से देरी से चल रही हैं. इसी तरह रेलवे की निगरानी वाली 173 परियोजनाओं में से 116 विलंबित हैं, जबकि पेट्रोलियम के लिए 139 में 88 परियोजनाएं समय से पीछे हैं.
 

अवसंरचना और परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) केंद्रीय क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक की लागत की परियोजनाओं की निगरानी करता है. आईपीएमडी परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा ऑनलाइन कंप्यूटरीकृत निगरानी प्रणाली (ओसीएमएस) पर प्रदान की गई जानकारी के आधार पर इनकी निगरानी करता है. आईपीएमडी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आता है.

अपने निर्धारित कार्यक्रम से 216 महीने पीछे है:
रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे विलंबित परियोजना है. यह 276 महीने की देरी से चल रही है. दूसरी सबसे विलंबित परियोजना बेलापुर-सीवुड-शहरी विद्युतीकृत दोहरी लाइन है, जिसमें 228 महीने की देरी है. तीसरी सबसे देरी वाली परियोजना कोटिपल्ली-नरसापुर रेल परियोजना है. यह अपने निर्धारित कार्यक्रम से 216 महीने पीछे है.

अनुमानित लागत का 59.4 प्रतिशत बैठता है:
रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र की 831 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत (जब स्वीकृति मिली थी) 4,92,741.89 करोड़ रुपये थी. इसके अब बढ़कर 5,40,815.51 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र की परियोजनाओं की लागत 9.8 प्रतिशत बढ़ी है. अगस्त, 2022 तक इन परियोजनाओं पर किया गया खर्च 3,21,001 करोड़ रुपये था जो अनुमानित लागत का 59.4 प्रतिशत बैठता है.

यह अनुमानित लागत का 35.3 प्रतिशत बैठता है:
रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे की 173 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 6,19,569.99 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. यानी रेलवे की परियोजनाओं की लागत 66.2 प्रतिशत बढ़ी है. अगस्त, 2022 तक इन परियोजनाओं पर किया गया खर्च 3,43,528.75 करोड़ रुपये या अनुमानित लागत का 55.4 प्रतिशत था. पेट्रोलियम क्षेत्र की 139 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 3,66,013.55 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह बढ़कर 3,86,263.94 करोड़ रुपये हो गई है. इसमें 5.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. अगस्त, 2022 तक इन परियोजनाओं पर कुल 1,36,450.2 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. यह अनुमानित लागत का 35.3 प्रतिशत बैठता है. सोर्स-भाषा