नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चे तेलों के आयात पर होने वाले खर्च को लेकर सोमवार को चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं पर बोझ पड़ता है, लिहाजा यह समय भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आयात की निर्भरता कम करने के लिए ‘मिशन मोड’ में काम करने का है. मोदी ने कहा कि भारत का आत्मनिर्भर होना इसलिए जरूरी है क्योंकि निर्यात करने वाले देशों की समस्याओं के चलते भारत पर इसका बुरा असर पड़ता है, जैसा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने से हुआ.
ज्ञात हो कि पिछले वित्त वर्ष में देश का वनस्पति तेल आयात सालाना आधार पर 70.72 फीसदी बढ़कर 18.93 अरब डॉलर रहा. वर्ष 2021-22 में भारत ने 160.68 अरब डॉलर का पेट्रोलियम और कच्चे तेल तथा इससे जुड़े उत्पादों का आयात किया, जो करीब 94 प्रतिशत अधिक है.प्रधानमंत्री ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूसा मेला ग्राउंड में दो दिवसीय “पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022” का उद्घाटन किया और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के अंतर्गत 16 हजार करोड़ रुपये की 12वीं किस्त जारी करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही.
उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि को आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से छोटे किसानों को होने वाले लाभ का एक उदाहरण बताया और कहा कि इस योजना के शुरू होने के बाद दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किसानों के बैंक खाते में हस्तांतरित किए गए हैं.इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना ‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक’ की शुरुआत की और इसके तहत ‘भारत यूरिया बैग्स’ भी पेश किए. इससे कंपनियों को एक ही ब्रांड नाम - भारत के तहत उर्वरकों के विपणन में मदद मिलेगी.
उन्होंने 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों का भी उद्घाटन किया. इस योजना के अन्तर्गत देश में उर्वरकों की 3.30 लाख से अधिक खुदरा दुकानों को चरणबद्ध तरीके से प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों में परिवर्तित किया जाएगा. उन्होंने इस अवसर पर 'एग्री स्टार्टअप’ सम्मेलन का भी उद्घाटन किया और एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का विमोचन किया. इन योजनाओं के उद्घाटन के बाद मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत का सबसे अधिक खर्च जिन चीजों को आयात करने में होता है, उनमें खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चा तेल शामिल हैं और इनको खरीदने के लिए हर वर्ष लाखों करोड़ रुपये दूसरे देशों को देना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि विदेश में अगर कोई समस्या आती है, तो इसका बुरा असर हमारे यहां भी पड़ता है. मोदी ने कहा कि सरकार उर्वरक के आयात पर इसी साल 2.5 करोड़ रुपये खर्च कर रही है ताकि भारतीय किसान उच्च वैश्विक कीमतों से प्रभावित ना हों.उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसानों पर बोझ ना पड़े और उनपर कोई नया संकट ना आए इसलिए सरकार 70-80 रुपये में यूरिया बाहर से लाती और किसानों तक 5-6 रुपये में पहुंचाती.प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग करके उसकी कालाबाजारी रुकवाई और बरसों से बंद पड़े देश के छह बड़े यूरिया कारखानों को फिर से से शुरू किया गया.
उन्होंने नैनो यूरिया को कम खर्च में अधिक उत्पादन का माध्यम बताया और कहा कि यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भारत तेजी से तरल नैनो यूरिया की ओर बढ़ रहा है. मोदी ने कहा कि यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भारत अब तेजी से तरल नैनो यूरिया की तरफ बढ़ रहा है. नैनो यूरिया, कम खर्च में अधिक पैदावार का माध्यम है. जिनको एक बोरी यूरिया की जरूरत है, वो काम अब नैनो यूरिया की एक छोटी सी बोतल से हो जाता है. ये विज्ञान और प्रौद्योगिकी का कमाल है.
उन्होंने इस अवसर पर दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 2015 में किए गए अपने आह्वान का उल्लेख किया और कहा कि किसानों ने इसे हाथों हाथ लिया जिसकी वजह से इनके उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इससे आयात पर निर्भरता कम हुई. मोदी ने कहा कि खाने के तेलों की आत्मनिर्भरता के लिए सरकार ने मिशन पॉम आयल भी शुरु किया है.प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि उपज से पैदा होने वाले एथनॉल से गाड़ियां चले, कचरे व गोबर से बनने वाली बायो गैस से बायो -सीएनजी बने, इस दिशा में आज काम हो रहा है.
उन्होंने इस अवसर पर किसानों से खेती में नयी व्यवस्थाओं का निर्माण करने और वैज्ञानिक पद्धतियों तथा प्रौद्योगिकी को खुले मन से अपनाने की भी अपील की.‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह योजना किसानों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद मुहैया कराएगी. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक उर्वरक से किसान को हर तरह के भ्रम से मुक्ति मिलने वाली है और बेहतर खाद भी उपलब्ध होने वाली है. देश में अब एक ही नाम और एक ही ब्रांड से और एक समान गुणवत्ता वाले यूरिया की बिक्री होगी और यह ब्रांड है भारत. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया भी मौजूद थे.
मोदी ने अपनी सरकार की आठवीं वर्षगांठ के अवसर पर मई महीने में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में किसान सम्मान निधि की 11वीं किस्त के रूप में 21,000 करोड़ रुपये जारी किए थे.ज्ञात हो कि देश में मझोले और छोटे किसानों की मदद के लिए शुरू की गई पीएम-किसान सम्मान योजना को आठ साल हो चुके हैं और देश में करोड़ों किसान इसका लाभ प्राप्त कर चुके हैं. केंद्र सरकार ने 24 फरवरी 2019 को पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत, पात्र लाभार्थी किसान परिवारों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष का वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है. यह हर साल 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में दिया जाता है. राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है.(भाषा)