नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी’ (IRCS) को अभिनव और सहयोगी उपायों के जरिए बड़ी आबादी तक पहुंचने के लिए समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने तथा इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है. मांडविया ने कहा कि सेवा और सहयोग हमारी विरासत का हिस्सा हैं और वे हमारे संस्कार का एक अभिन्न अंग हैं. ये भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के आदर्श वाक्य को भी रेखांकित और परिभाषित करते हैं जो जरूरत और आपात स्थिति में मानवता की सेवा और सहायता के प्रति अपने काम के लिए जाना जाता है.”
मंत्री आईआरसीएस के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के यहां ‘लीडरशिप समिट’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. वह आईआरसीएस के अध्यक्ष भी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, इस बैठक का उद्देश्य आईआरसीएस के कामकाज में सुधार के तरीकों और साधनों पर गहन विचार-विमर्श करना है. मंत्री ने कहा कि रेड क्रॉस लोगों के बीच उम्मीद और आशा की किरण के तौर पर पहचाना जाता है. उन्होंने आगाह किया कि अगर आईआरसीएस बदलते समय के साथ तालमेल नहीं बिठाता तो इसकी प्रासंगिकता और पहचान खो सकती है . बकौल मंत्री कि आईआरसीएस को अपनी ताकत और कमजोरियों पर आत्मनिरीक्षण करने और समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने तथा इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है.
मांडविया ने कहा कि इसके लिए संरचनात्मक और संगठनात्मक संरचनाओं के बारे में गहरी समझ बनाने, आईआरसीएस क्षेत्रीय केंद्रों के कामकाज में अनुशासन पर ध्यान देने, नियुक्तियों में पारदर्शिता बरतने, बेहतर शिकायत निवारण तंत्र बनाने और अन्य बातों के साथ-साथ जन-केंद्रित गतिविधियों के लिए डिजिटल तकनीक का बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है.” केन्द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हम हमेशा अन्य देशों के स्वास्थ्य सेवा मॉडल देखकर रोमांचित होते रहे हैं, लेकिन कोविड महामारी ने हमारी व्यवस्था की ताकत दर्शायी और इस संबंध में उन्नत देशों की कमजोरियों को भी उजागर किया. उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ कोविड का सफल क्षेत्रीय मॉडल के साथ प्रबंधन किया, बल्कि ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत दवाओं और टीकों की आपूर्ति के रूप में कई देशों को सहायता भी प्रदान की. सोर्स- भाषा