जयपुर: 13 साल के बाद एक बार फिर छात्र संघ चुनावों पर सरकार ने रोक लगा दी कल देर रात जारी किए गए आदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने छात्रसंघ चुनावों में धन बल और भुजबल का हवाला देकर छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का फैसला लिया देर रात जैसे ही यह आदेश छात्र नेताओं तक पहुंचा तो सभी छात्र देर रात होने के बावजूद भी राजस्थान यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर इकट्ठा हो गए और विरोध जताने लगे.
सन 2004 में छात्र संघ चुनाव पर पहली बार रोक लगाई गई जिसके बाद सन 2010 में कांग्रेस की सरकार मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छात्रसंघ चुनावों से रोक हटाई अब 13 साल बाद एक बार फिर छात्र संघ चुनावों पर रोक लगने से छात्र नेताओं का राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही रुक गया है छात्र नेताओं ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है वहीं अब छात्र नेता इसके विरोध में उतर आए हैं आदेश को लेकर देर रात से लेकर अल सुबह भी छात्र नेताओं की ओर से राजस्थान यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर लगातार प्रदर्शन जारी है
छात्रसघ चुनावों को लेकर आए आदेश के बाद
एनएसयूआई के पदाधिकारियों का कहना है कि वह जल्द ही इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे और छात्र संघ चुनावों को कराए जाने को लेकर मांग करेंगे लेकिन अब सरकार ने अपनी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर दी है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी छात्र संघ चुनावों को लेकर कल एक बड़ा बयान दिया था जिसमें लिंगदोह कमेटी की पालना का नहीं होना इसके साथ ही चुनावों में बहुत ज्यादा मात्रा में पैसा खर्च करना और शहर को बदरंग करने जैसी बात मुख्यमंत्री न कही सरकार भी छात्र संघ चुनाव कराए जाने के पक्ष में नहीं हैं.
छात्र संघ चुनाव पर रोक लगने से एक और जहां दोनों ही छात्र संगठनों के छात्र नेताओं में गहरा आक्रोश है क्योंकि कई छात्र नेता पिछले कई सालों से इस छात्र संघ चुनाव का इंतजार कर अपनी राजनीति का उज्जवल भविष्य देख रहे थे लेकिन उन्हें पता नहीं था कि उनका भविष्य उज्जवल होने से पहले ही अंधकार में डूब जाएगा.