वाशिंगटन: भारत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है, ताकि वैश्विक निवेशकों का भरोसा हासिल करने के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाया जा सके. आम बजट पेश किए जाने से पहले अमेरिका स्थित एक अग्रणी पैरोकारी समूह ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह अनुरोध किया है.
प्रत्यक्ष कर आयकर, पूंजीगत लाभ कर या प्रतिभूति लेनदेन कर के रूप में हो सकते हैं. दूसरी ओर जीएसटी, सीमा शुल्क या वैट जैसे अप्रत्यक्ष कर किसी भी सामान या सेवाओं को खरीदने के लिए सभी अंतिम उपभोक्ताओं पर लगाए जाते हैं. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी मंच (USISPF) ने एक फरवरी को आम बजट पेश किए जाने से पहले वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी प्रस्तुति में कहा, 'विदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर दरों को तर्कसंगत बनाएं. इसमें कहा गया है कि बैंकों सहित विदेशी कंपनियों के लिए दरों में समानता लाने और नयी निर्माण कंपनियों के लिए कर को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है. यूएसआईएसपीएफ ने भारत से पूंजीगत लाभ कर को सरल बनाने का आग्रह किया तथा विभिन्न निवेश-साधनों की होल्डिंग अवधि और दरों में तालमेल स्थापित करने की मांग की.
प्रस्तुति में कहा गया, 'वैश्विक कर सौदे के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराइए.' मंच ने केंद्रीय वित्त मंत्री से प्रतिभूतियों में निवेश के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के लिए रियायती कर व्यवस्था का विस्तार करने को कहा. भारत में निवेश करने वाली अमेरिकी उद्यम पूंजी कंपनियों को उम्मीद है कि बजट में स्टार्टअप इकोसिस्टम की वृद्धि को समर्थन देने वाले उपाए किए जाएंगे. सेलेस्टा कैपिटल के प्रबंध साझेदार अरुण कुमार के मुताबिक उद्यम पूंजीपति भारतीय प्रतिभा का लाभ उठाना चाहते हैं और उनके उद्यमों में निवेश करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में उद्यम पूंजीपति उन नीतियों और पहलों में दिलचस्पी रखते हैं, जो देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी की वृद्धि और विकास में मदद करें. सोर्स- भाषा