जयपुर: चार दशक तक जयपुर की प्यास बुझाने वाले रामगढ़ बांध के कंठ अब बरसों से सूखे है. 2005 से एक-एक बूंद को प्यास इस रामगढ़ बांध को किसी भागीरथ की तलाश थी, लेकिन ढलती उम्र के साथ यह बांध भी खत्म सा हो गया. आजादी की 77वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की जनता के सामने इस बांध को फिर से भरने का भरोसा दिया है. सरकारें तो पहले भी थी, वादें तो पहले भी हुए, लेकिन अब देखना है कि सीएम गहलोत का यह वादा बिहड़ से हो चुके इस बांध का कब आबाद करता है.
दिल्ली में 1982 में एशियाई खेलों में नौकायन प्रतियोगिता जयपुर के भव्य कहे जाने वाले रामगढ़ बांध में आयोजित हुई थी. यह कल्पना कितनी खतरनाक और भयावह है कि उस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देश-विदेश के नौकायन प्रतियोगी यदि अब इस बांध को देखें तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं होगा कि जिस लबालब भरे बांध मे उन्होंने अपनी नौकाएं दौड़ाई थीं, अब वहां केवल जंगली झाडियां ही दूर तलक तक दिखाई पड़ती हैं. कभी तीस लाख की आबादी को पानी पहुंचाने वाला एक बांध देखते ही देखते एक विराने में तब्दील हो गया. दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है. इस सन्नाटे को टूटे-फूटे पानी सप्लाई करने वाले कार्यालय के टीन शेड पर इधर-उधर उछल कूद करने वाले बंदर की धमक अवश्य यदाकदा तोड़ती है. अन्यथा यहां बांध अपने बीते सुनहरे कल की बस यादें ही समेटे हुए है. बांध की जंग लगी पाइप लाइनें हों या बंद पड़े मोटर के हैंडल या यहां-वहां दूर तक गिरीपड़ी बांध की दीवारें हों. यह बांध के खत्म होने की कहानी बयां कर रहा है. हालांकि इसके बावजूद बांध की दीवारों पर बने गुंबद अब भी शान से खड़े हैं और भूले-भटके आने वालों को अपने भव्य अतीत को दर्शा रहा है.
आईए इस बांध का इतिहास भी जान लेते है. करीब 15.5 वर्ग किलोमीटर में फैली इस झील पर जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह ने 1897 में बांध बनाना शुरू करवाया. 1903 बांध पूरी से बनकर तैयार भी हो गया. जब बाणगंगा नदी में पानी अच्छी आवक होती थी तो उस उस दौर में बांध में कभी पानी की कमी नहीं रही. राजधानी जयपुर में जब आबादी बढ़ने लगी तो 1931 से राजधानी में पेयजल सप्लाई रामगढ़ से शुरू कर दी गई थी. कभी यहां का पानी दौसा, लालसोट तक नहरों के जरिए खेती-किसानी के लिए पहुंचाया जाता था. बताते हैं कि 1903 में निर्माण के बाद में पहली बार रामगढ बांध में 21 साल बाद ओवरफ्लो हुआ. 10 सितंबर 1924 में रामगढ़ बांध में पानी से लबालब हुआ. उस वक्त 66 फीट गहरा रामगढ़ बांध पानी से पूरा भर चुका था. दूसरी बार रामगढ़ बांध को पूरा भरने में 54 साल लगे. 30 जुलाई 1977 को फिर से रामगढ़ बांध फिर से ओवरफ्लो हुआ. अगले साल फिर इतनी बरसात हुई कि रामगढ़ बांध के गेट खोलने पड़े. अंतिम बार रामगढ़ बांध 1981 में आई बाढ़ के बाद में पूरा भरा था. लेकिन बेतरतीब बसावट से इस बांध का दम धीरे-धीरे घुटने लगा. बांध के केचमेंट एरिया में लगातार अतिक्रमण होते रहे और पानी को रोकने में लिए एनीकट बनाए जाते रहे. नतीजा ये रहा कि 2005 में बांध पूरी तरह से सूख गया. 2011 में इस बांध को बचाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया और एक कमेटी गठित की. कमेटी ने 200 से ज्यादा एनीकट और 800 से ज्यादा अतिक्रमण चिन्हित किये. प्रशासन कमेटी के सवाल करने पर कार्रवाई करता है. मौके पर कुछ अतिक्रमण हटाये भी जाते हैं. लेकिन आज भी रामगढ़ बांध में पानी नहीं पहुंचा है.
रामगढ बाँध एक नज़र में
रामगढ बाँध की स्थापना जयपुर महाराजा माधोसिंह ने की थी
इसकी नींव 30 दिसम्बर 1897 को रखी गयी थी
रामगढ बाँध छह वर्ष में 1903 में बनकर हुआ था
इसकी भराव क्षमता 65 फ़ीट है
बाँध का केचमेंट एरिया 759 वर्ग किलोमीटर है
बाँध में वर्तमान में 15 फ़ीट मिट्टी है
इसके निर्माण में 584593 रूपए ख़र्च हुए थे
बाँध से कालाखो दौसा का तक साढ़े 21 मील लम्बी मुख्य नहर व 139 मील लम्बी लिंक नहरो का निर्माण करवाया गया था
मुख्य नहर चार दशक से बंद है
बाँध से 1931 मे जयपुर की प्यास बुझाने के लिए पानी ले जाया गया
इसमें कुल पानी की भराव क्षमता 75 मिलियन क्यूबिक मीटर है
वर्ष 1981 में बाँध में एशियाई खेलो की नौकायन प्रतियोगिता आयोजित हुयी
वर्ष 2005 से बाँध बिल्कुल सूखा है
वर्ष 2005 में बांध पूरी तरह से सूख गया. राजधानी जयपुर की पानी सप्लाई अब पूरी तरह से रामगढ़ की बजाय बीसलपुर बांध पर निर्भर हो गई है. जयपुर का तो इंतजाम हो गया लेकिन खुद रामगढ़ का पूरा जमवारागढ़ और आसपास का इलाका पिछले 16 साल से आज तक पानी के लिए जूझ रहा है. अब 15 अगस्त 2023 के दिन प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत के चार वाक्यों ने रामगढ़ बांध की उम्मीद फिर से जगा दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर से इस बांध को भरने का भरोसा दिलाया है.
स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा
रामगढ़ बांध को फिर से भरने की घोषणा की
ERCP के तहत ईसरदा बांध से भरा जाएगा रामगढ़ बांध को
इस पर 1250 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे
आंधी, जमवारामगढ़, आमेर, जालसू, गोविन्दगढ़, शाहपुरा को मिलेगा पानी
विराटनगर, पावटा, कोटपूतली ब्लॉक को मिलेगा पानी
अलवर जिले के थानागाजी, बानसूर ब्लॉक्स के लिए पेयजल योजना बनाई जाएगी
सीएम गहलोत ने उम्मीद ने तो जगा दी है, लेकिन हकीकत यह भी है कि रामगढ बाँध की देखरेख करने वाले सिंचाई व राजस्व महकमे ने यहाँ नदी नालों में अतिक्रमण की ज़ंजीरें डाल दी है. जगह जगह केचमेंट एरिया मे चेकडेम, एनीकट, तालाब, जोहड, तलाइया व जल सरंक्षण ढाँचे बनाकर इसे मरणासन्न कर दिया है.