जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनहितैषी सोच को उन्हीं की सरकार के अफसर लागू करने में नकारा साबित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लंपी स्किन डिजीज में मृत दुधारू गायों के पशुपालकों को 40 हजार रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. लेकिन बड़ी बात यह है कि पशुपालन विभाग के पास यह रिकॉर्ड ही नहीं है कि किन पशुपालकों की दुधारू गायों की मौत हुई है. ऐसे में जिन पशुपालकों की दुधारू गायों की मौत हुई, वास्तव में उन सभी पशुपालकों तक मुआवजा मिलना मुश्किल नजर आ रहा है.
जून से सितंबर तक जब प्रदेश में गौवंश में लंपी स्किन महामारी ने कोहराम मचाया हुआ था, तब पशुपालन विभाग के पास न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही पर्याप्त स्टाफ. लिहाजा लाखों की संख्या में गौवंश की मौतें हुई. सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी राजस्थान के जिलों में देखा गया. यहां गौशालाएं ही नहीं, बल्कि पशुपालकों की गायों और उनके बछड़े-बछड़ियाें की बड़ी संख्या में मौतें हुई. इस बीमारी के दौरान हालात इतने कठिन थे, कि प्रत्येक पशुपालक विभाग को गायों की बीमारी और मृत्यु की सूचना नहीं दे सका. ज्यादातर पशुपालकों ने आयुर्वेद उपचार के सहारे ही गायों को बचाने के प्रयास किए गए. लेकिन सीएम गहलोत की बजट घोषणा के बाद अब पशुपालकों के लिए परेशानी बढ़ गई है. विभाग के आंकड़ों में करीब 76 हजार गायों की ही मौत हुई है, जबकि विशेषज्ञों की मानें तो यह आंकड़ा करीब 5 गुना अधिक रहा है. नागौर, बाड़मेर, हनुमानगढ़, सिरोही, जालौर, बीकानेर, गंगानगर, पाली आदि जिलों में सबसे अधिक गायों की मौतें हुई. इसके अलावा चूरू, अजमेर, सीकर, जयपुर आदि जिलों में भी बड़ी संख्या में गायों की मौत हुई.
क्या हैं पशुपालन विभाग के आंकड़े
- 15 लाख 67 हजार 217 गाय लंपी स्किन महामारी से बीमार हुई
- इनमें से 14 लाख 91 हजार 187 गायों का उपचार कर ठीक कर लिया गया
- प्रदेश में 76030 गायों की इस बीमारी के चलते मौत हुई
- बीमारी के समय विभाग के उच्चाधिकारी आंकड़े ज्यादा आने पर टोकते थे
- इसलिए निचले कर्मचारियों ने रिकॉर्ड बेहतर करने के लिए मौतें कम दर्शाई
- हालात यह कि जिन पशुपालकों के पशुओं की बीमारी से वास्तव में मृत्यु हुई
- ऐसे बहुत से पशुपालकों का नाम-पता विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं
- ज्यादातर पशु चिकित्सा केन्द्रों पर केवल मृत पशुओं की संख्या के आंकड़े, पशुपालकों का कोई रिकॉर्ड नहीं
अब खबर में आपको यह बताते हैं कि पशुपालन विभाग के अफसर कितनी गफलत में हैं. पशुपालन विभाग ने दुधारू गायों की मौत के बाद पशुपालकों को आर्थिक मदद देने के लिए प्रक्रिया शुरू की है. सीएम गहलोत की बजट घोषणा के बाद पशुपालन विभाग के निदेशक डॉक्टर भवानी सिंह राठौड़ ने 24 फरवरी को एक आदेश निकाला. बड़ी बात यह है कि इसमें सभी जिलों के संयुक्त निदेशकों से दुधारू गायों की मौत के आंकड़े तो मांगे गए, लेकिन प्रभावित पशुपालकों की सूचना मांगना भूल गए. इसके बाद 28 फरवरी को आनन-फानन में फिर से नया आदेश निकाला गया है. इसमें पशुपालकों की सूचना मांगी गई है.
पशुपालन विभाग के अफसरों की गफलत का नमूना
- 24 फरवरी को पशुपालन निदेशक भवानी सिंह राठौड़ ने निकाला आदेश
- लिखा, 3 मार्च तक मृत पशुओं का डेटा मुख्यालय भिजवाया जाए
- जिससे लंपी से दुधारू गायों की मौत वाले पशुपालकों आर्थिक मदद दी जा सके
- लेकिन इसमें पशुपालकों के नाम, पते, बैंक की सूचना मांगना भूला विभाग
- केवल मृत पशुओं की संख्या और कुल पशुपालकों की संख्या मांगी गई
- गलती सुधारने के लिए 28 फरवरी को फिर निदेशक भवानी सिंह राठौड़ ने पत्र लिखा
- इस बार पशुपालक का नाम, राजस्व ग्राम, पता, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड की सूचना मांगी
- इसके साथ ही जनआधार कार्ड से जुड़े बैंक खाते की सूचना भी मांगी गई
- यह सूचना 10 मार्च तक पशुपालन निदेशालय भिजवान के लिए कहा