जयपुर: देश के पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का आज ऐलान होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी. आचार संहिता लगते ही आज से नेताओं के "गाड़ी-घोड़े" बन्द हो जाएंगे ! अब मंत्री व बोर्ड-निगम चेयरमैन को इसकी पालना करनी होगी.
आचार संहिता लगने के बाद सरकारी वाहन और सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकते हैं. सरकारी वाहन सिर्फ निवास से अपने सरकारी सफ्तर तक ही इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा नेताओं खुद के वाहन में ही चलना पड़ेगा. न लोकार्पण-शिलान्यास होगा, न पत्थरों पर नाम लगेगा. पिछले पांच साल जैसा "VVIP ट्रीटमेंट" भी बंद हो जाएगा. नेताओं को अब बस जनता के बीच ही जाना होगा.
आदर्श आचार संहिता क्या है?
देश और राज्यों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है. चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है. यह आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के पूरी हो जाने तक लागू रहती है. चुनाव में हिस्सा लेने वाले राजनैतिक दल,उम्मीदवार, सरकार और प्रशासन समेत चुनाव से जुड़े सभी लोगों पर इन नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है.
आचार संहिता के मुख्य नियम:-
- किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा.
- सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा.
- राजनीतिक दलो को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है.
- आचार संहिता लागू होते ही दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री के होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं.
- चुनाव के दौरान योजना के तहत निधि MP-MLA फंड से जारी नहीं होगी.
- सरकारी राशि का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या उम्मीदवार को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता.
- मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते है.