जयपुर: गहलोत सरकार की चिंतन बैठक ने कांग्रेस के अंदर सियासी पारे को गर्मा दिया है. एक ओर तो मंत्री अपने विभाग की परफॉर्मेंस देने में व्यस्त हो गए दूसरी ओर मंत्रिपरिषद फेरबदल और विस्तार की चर्चाओं ने भी सर्दी के माहौल में सियासी तपन का अहसास करा दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि बजट के बाद मंत्रिपरिषद फेरबदल और विस्तार होने की संभावना है. राज्य में अभी भी करीब 9 जिले ऐसे है जहां से 4 साल बीतने के बाद भी गहलोत मंत्रिपरिषद में एक भी मंत्री नहीं है. 4 से 5 मौजूदा मंत्रियों की विदाई हो सकती है. पहली बार बने युवा विधायक भी मंत्री बनाए जा सकते है.
साल 2021 का 21 नवंबर जब अशोक गहलोत सरकार मे मंत्रिपरिषद का फेरबदल और विस्तार हुआ था. कांग्रेस के 15 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी. इनमें से 11 विधायकों ने कैबिनेट व चार विधायकों ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली. हेमाराम चौधरी, महेंद्रजीत मालवीय, रामलाल जाट, महेश जोशी, विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव, टीकाराम जूली, गोविंद राम मेघवाल व शकुंतला रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. वहीं जाहिदा खान, बृजेंद्र ओला, राजेंद्र गुढ़ा और मुरारी लाल मीणा बनाए गए राज्य मंत्री. ममता भूपेश, भजनलाल जाटव और टीकाराम जूली को राज्यमंत्री से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई.
इस पुनर्गठन में कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा, हरीश चौधरी और राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को हटाया गया था. इन तीनों मंत्रियों ने संगठन में काम करने की मंशा से अपने इस्तीफे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिए थे. डोटासरा इस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो डॉ शर्मा को पार्टी ने गुजरात मामलों का व हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया था. अब संभावना जताई जा रही है कि डॉ रघु शर्मा फिर से मंत्री बनाए जा सकते है. विधानसभा का भावी सत्र कुछ दिन बाद से शुरू हो रहा है. सत्र अहम है लेकिन सवाल ये भी है कि कब उन जिलों को मंत्री मिलेगा जो महरूम इस अहम पद से. राज्य में अभी भी करीब 9 जिले ऐसे है जहां से 4 साल बीतने के बाद भी गहलोत मंत्रिपरिषद में एक भी मंत्री नहीं है. डॉ जितेंद्र सिंह, संयम लोढ़ा, राजकुमार शर्मा, बाबू लाल नागर, रामकेश मीना और दानिश अबरार मुख्यमंत्री के सलाहकार की भूमिका में है.
---वो जिले जो मंत्रिपरिषद में आने से अभी तक महरूम---
- आदिवासी अंचल के तीन जिलों उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर से कोई मंत्रिपरिषद में नहीं
- सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, हनुमानगढ़, गंगानगर, चूरू, अजमेर, सीकर से कोई नहीं.
- टोंक कोटे से पहले सचिन पायलट डिप्टी सीएम थे, अब नहीं
- सीकर कोटे से पहले गोविंद सिंह डोटासरा शिक्षा मंत्री थे अब पीसीसी चीफ है.
हालांकि झालावाड़, पाली और सिरोही में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. हालांकि कांग्रेस बागी के तौर पर लोढ़ा है सिरोही से विधायक, उन्हें सीएम सलाहकार का पद हासिल.
---इन जिलों से सबसे ज्यादा भागीदारी---
- 4 जिले ऐसे हैं जिन्हें सबसे ज्यादा भागीदारी मिली हुई है
इनमें जयपुर, भरतपुर, दौसा और बीकानेर शामिल हैं.
हालांकि कुछ विधायकों को सीएम सलाहकार, बोर्ड और आयोग चेयरमैन बनाकर जिलों को साधने का प्रयास जरूर हुआ, लेकिन इंतजार मंत्रिपरिषद के संभावित फेरबदल और विस्तार का. कुछ विधायक उम्मीद कर रहे है विधानसभा सत्र से पहले फेरबदल और विस्तार की.
---गहलोत मंत्री परिषद के संभावित नये चेहरे---
---दीपेंद्र सिंह शेखावत---
- सचिन पायलट कोटे से मंत्री के लिए नाम
- सीनियर राजपूत चेहरे
- राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके
---नरेन्द्र बुढ़ानिया---
- बीकानेर संभाग के बड़े जाट लीडर
- तारा नगर से कांग्रेस विधायक है बुढानिया
- बुढानिया को पहले ही मंत्री बनाने जाने की चर्चा थी
- ऐसा पहली बार जब कोई जाट बीकानेर संभाग से मंत्री नहीं
- चूरु जिले से मा. भंवर लाल मेघवाल बने थे मंत्री
- अब मास्टर भंवर लाल मेघवाल नही है इस दुनिया में
- बुढ़ानिया तीन बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा सांसद रह चुके
---राजकुमार शर्मा---
- सीएम गहलोत के वफादार
- पिछली गहलोत सरकार में भी मंत्री थे
- शेखावाटी के युवा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर चर्चित
---गुरमीत सिंह कुन्नर---
- गुरमीत सिंह कुन्नर बनाये जा सकते है मंत्री
- पिछली गहलोत सरकार में भी रहे थे मंत्री
- जट-सिक्ख वर्ग को भी करना बैलेंस
---संयम लोढ़ा, निर्दलीय विधायक---
- सिरोही से निर्दलीय विधायक
- संयम लोढ़ा को मंत्री बनाया जा सकता है
- इसके पीछे बड़ा कारण है गोड़वाड़
- सिरोही-पाली में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं
- अगर कोई निर्दलीय बना तो इनका नम्बर संभव
---महादेव सिंह खंडेला---
- खंडेला से निर्दलीय विधायक
- केंद्र सरकार में रह चुके मंत्री
- शेखावाटी के प्रभावी किसान नेता
- अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक
---राजेंद्र सिंह विधूड़ी---
- बेगूं से दूसरी बार कांग्रेस विधायक
- दिवंगत अहमद पटेल के शिष्यों में रहे शुमार
- तेज तर्रार गुर्जर नेताओं ने गिनती
- विधायक मेवाड़ से लेकिन राज्य भर में चर्चित नेता
---मंजू मेघवाल---
- नागौर के जायल से कांग्रेस विधायक
- पहले भी रह चुकी गहलोत सरकार में मंत्री
- दलित मेघवाल चेहरे को तौर पर चर्चा
---खिलाड़ी लाल बैरवा---
- बसेड़ी से विधायक
- दलित चेहरे के तौर पर गिनती
- पायलट के विश्वस्त कहे जाते है
- अभी राज्य एससी आयोग के अध्यक्ष
---दिव्या मदेरणा---
- पहली बार विधायक
- कांग्रेस के प्रतिष्ठित मदेरणा परिवार की सदस्य
- राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में काफी सक्रिय रही
---सुदर्शन सिंह रावत---
- भीम से कांग्रेस विधायक
- पूर्व गृह मंत्री लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र
- रावत समाज के कांग्रेस में शीर्ष नेता
पहली बार जीते चेहरों को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. मंत्री परिषद फेरबदल की चर्चाओं में ही दो और उप मुख्यमंत्री बनाये जाने की चर्चाएं है. बहरहाल मुख्यमंत्री गहलोत के जादुई पिटारे से क्या निकलेगा ये कोई नहीं बता सकता है. लेकिन इस बार किसी फेरबदल में जांच परख और वफादारी का गणित प्राथमिकता में होगा. प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस तरह महिलाओं की पैरवी की है उस लिहाज से महिलाओं की भूमिका अहम होगी. राहुल गांधी की सोच के मुताबिक युवाओं को को तरजीह मिलेगी.