जयपुर: राजधानी के नजदीक स्थित प्राचीन चंदलाई झील के कैचमेंट एरिया में ग्राम पंचायत की ओर से 52 अवैध आवासीय पट्टे जारी करने के मामले में जहां चाकसू पंचायत समिति ने मौन साध रखा, वहीं जेडीए प्रभावी कार्यवाही करने के बजाए पिछले 10 महीने से पंचायत समिति के जवाब का ही इंतजार कर रहा है.
राजधानी से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन चंदलाई बांध के कैचमेंट एरिया का गला घोंटने की लंबे समय से कवायद चल रही है. बांध के कैचमेंट एरिया में शामिल खसरा नंबर 1208, 1209, 1210, 1221 व 1222 की पांच बीघा भूमि पर स्थानीय ग्राम पंचायत ने नियमों को ताक पर रखते हुए अवैध रूप से 52 आवासीय पट्टे जारी कर दिए. यह मामला दस महीने पहले ही उजागर हो गया था. इसके बावजूद मामले में जिम्मेदार चाकसू पंचायत समिति और जेडीए के अधिकारी प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. यह तो तब है जब यह पांच बीघा भूमि जेडीए के नाम गैर मुमकिन चारागाह के तौर पर दर्ज है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि यह चंदलाई झील आखिर महत्वपूर्ण क्यो हैं?
-इस झील के पानी से आस-पास के दो दर्जन से अधिक गांवों में खेती होती है
-इन गांवों में झील का पानी कई नहरों से होते हुए पहुंचता है
-एक अनुमान के मुताबिक इस झील के चारों तरफ करीब 20 हजार बीघा कृषि भूमि की सिंचाई होती है
-झील के पानी से गेहूं,सरसों व विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही है
-इसके अलावा यह झील प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान है
-यहां विभिन्न प्रजातियों के हजारों प्रवासी और स्थानीय पक्षी यहां आते हैं
-इनमें लिटिल कॉरमॉरेंट,ग्रीन सेंडपाइपर,पर्पल मूरहेन,लिटिल ग्रेब,ग्रेटर फ्लेमिंगो,
-स्पॉट बिल्ड डक,यूरेशियन विगियोन,स्पोटेड रेंड शेंक व व्हाइट वेगटेल प्रजाति के प्रवासी पक्षी शामिल है
-ये प्रवासी पक्षी अक्टूबर से मार्च के बीच चंदलाई झील आते हैं
-इन पक्षियों के कारण शहर और शहर के बाहर कई पक्षी प्रेमी यहां आते हैं
-इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग इस झील के सौन्दर्यन को देखने आते हैं
चंदलाई झील के इस महत्व को देखते हुए इसके संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल गंभीर है. एक मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर बांध के कैचमेंट एरिया में हुए अतिक्रमणों को लेकर विभिन्न विभागों ने जो रिपोर्ट तैयार की थी, उस रिपोर्ट में खसरा नंबर 1208, 1209 व 1210 में शामिल भूमि पर किए गए अतिक्रमण को डूब क्षेत्र में अतिक्रमण माना गया है. आपको बताते हैं कि पूरा मामले में किस तरह से जिम्मेदार एजेंसियां लापरवाही बरत रहे हैं.
-वर्ष 2018-19 में इन पांचों खसरों की कुल पांच बीघा जमीन के भू माफिया ने ग्राम पंचायत से मिलीभगत कर 52 आवासीय पट्टे जारी करा लिए
-मामला उजागर होने के बाद जेडीए के जोन की ओर से प्रवर्तन शाखा को रिपोर्ट भेजी गई
-जेडीए के जोन की रिपोर्ट में सामने आया कि यह पांच बीघा जमीन तो जेडीए की खातेदारी में दर्ज है
-जेडीए ने 6 मई 2024 को चाकसू पंचायत समिति के विकास अधिकारी को पत्र लिखा
-जेडीए ने पत्र लिखकर पंचायत समिति से पूछा कि ग्राम पंचायत की ओर से पट्टे जारी किए गए अथवा नहीं?
-और अगर जारी किए गए हैं तो किस नियम के तहत ये पट्टे जारी किए गए?
-जेडीए ने इस पत्र में विकास अधिकारी को जल्द से जल्द रिपोर्ट भेजने के लिए कहा था
-लेकिन जवाब नहीं आने पर जेडीए ने दुबारा इस वर्ष 24 जनवरी को फिर से विकास अधिकारी को पत्र लिखकर जवाब तलब किया
-लेकिन दो महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद विकास अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया
-जेडीए पिछले दस महीने से मामले में प्रभावी कार्रवाई करने के बजाए विकास अधिकारी के जवाब का इंतजार कर रहा है
-जेडीए अपनी ही भूमि जो कि बांध के कैचमेंट एरिया से प्रभावित है,
-उस भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए प्रभावी कार्यवाहीं नहीं कर रहा है
-जबकि एनजीटी के आदेश पर विभिन्न विभागों की ओर से कराए गए सर्वे में भी ये अतिक्रमण सामने आ चुका है.