VIDEO: CS उषा शर्मा के निर्देश पर राजस्थान में ई- फाइलिंग का आगाज, लोगों को सिर्फ फाइल के लिए बेवजह नहीं काटने होंगे चक्कर

जयपुर: गुड गवर्नेंस की दिशा में 1 अहम कदम बढ़ाते हुए गहलोत सरकार ने प्रदेश में ई फाइलिंग की शुरुआत कर दी है. सीएस उषा शर्मा के दिशा निर्देश अनुसार सबसे पहले सचिवालय से इसकी शुरुआत हुई है तो वहीं 15 जनवरी से अन्य विभागों में इसका आगाज होगा. इससे न सिर्फ सरकारी कामकाज में आसानी होगी बल्कि आम लोगों को सिर्फ फाइल के लिए बेवजह चक्कर नहीं काटने होंगे. 

अभी सरकारी ऑफिसों में लगे फाइल्स के अंबार सरकारी लालफीताशाही की दास्तां बताते हैं. ऐसे में सीएस उषा शर्मा ने सभी विभागों को ई फाइलिंग के निर्देश दिए हैं.

ऐसे होगी ई फाइलिंग लागू
पहले चरण में नई फाइल्स की ही स्कैनिंग करके काम शुरू किया जा रहा है.
इसके बाद फाइल तय चैनल में आगे बढ़ती जाएगी
संबंधित अधिकारी ऑनलाइन ही अपनी टिप्पणी भर देगा.
ऑनलाइन ही फाइल प्रक्रिया पूरी कर लेगी और फिर जरूरी होने पर आदेश जारी होगा. 

क्या हैं फायदे ?
ई फाइलिंग होने से भ्रष्टाचार की गुंजाइश होगी समाप्त.
अक्सर लाभार्थी या आम आदमी की उसकी फाइल रुकने की शिकायत आती है और काम आगे बढ़ाने या पूरा करने के लिए राशि मांगने की भी शिकायत आती है.
अब तय समय तक अधिकारी फाइल पर टिप्पणी न करे या जरूरी कार्यवाही नहीं की गई तो ऑटोमैटिक तरह से फाइल आगे की प्रक्रिया में चली जाएगी.
अभी फाइल रिकॉर्ड का काम मैन्युअल होने से ट्रेसिंग में आती है मुश्किल
जबकि ई फाइलिंग के बाद ऑनलाइन ही की जा सकती फाइल ट्रेस.
सरकारी ऑफिसों में बेवजह फाइल का अंबार कम होगा
इसी के साथ लालफीताशाही होगी कम. 

अभी क्या आ रही है परेशानी ?
कई कई विभागों में लाखों फाइल्स का अंबार है.
इन हजारों से लाखों फाइल्स की स्कैनिंग है मुश्किल काम.
इसके लिए कई स्कैनर और मानव संसाधन चाहिए जिसका कई विभागों में है अभाव.
अभी नई फाइल ही ई फाइलिंग की प्रक्रिया में आई हैं.
ऐसे में नई फाइल का ऐसा बिंदु जिसमें पुरानी फाइल्स में नोटिंग है उसे देखने के लिए फिर पुराने तरीके से फाइल्स खंगालनी पड़ेगी.
ऐसे में जब तक हर विभाग में नए और पुराने तमाम दस्तावेज और फाइल्स की स्कैनिंग करके ई फाइलिंग की प्रक्रिया में नहीं लाया जाता
तब तक यह प्रक्रिया आधी-अधूरी और बेमानी रहेगी. 

सचिवालय में स्केनर और मैनपावर की व्यवस्था करके ई फाइलिंग के पहले चरण का काम लगभग पूरा होने का दावा किया जा रहा है लेकिन असली चुनौती इससे विभागों में लागू करने की है.