उदगमंडलम: भारतीय वृतचित्र 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' के 95वें अकादमी पुरस्कार में 'बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट’ श्रेणी में ऑस्कर जीतने पर वृतचित्र की प्रमुख महिला किरदार निभाने वाली बेल्ली ने कहा कि "मैं ऑस्कर पुरस्कार के बारे में नहीं जानती. लेकिन मुझे बेसहारा युवा हाथियों की 'वलारप्पु थाई' (पालक मां) बनना पसंद है."
बच्चों को जो अपनी मां को जंगल में खो देते हैं:
उन्होंने कहा, "हाथी हमारे बच्चों की तरह हैं, हम मां खो चुके बेसहारा हाथियों के लिए इसे सेवा के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें पुरस्कार के बारे में नहीं पता था लेकिन वह उन्हें लगातार मिल रही शुभकामनाओं को लेकर उत्साहित थीं. बेल्ली ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'मैंने ऐसे कई नन्हें हाथियों को अपने बच्चों की तरह पाला है, पालक मां की तरह उनकी देखभाल की है, खासतौर पर उन हाथियों के बच्चों को जो अपनी मां को जंगल में खो देते हैं.
एक महावत परिवार से आने वाले बेल्ली ने आगे कहा, "यह (हाथियों की सेवा करना) हमारे खून में है, क्योंकि हमारे पूर्वज भी उसी तरह काम कर रहे थे, जैसा कि हमारी दादी ने बताया था. वृतचित्र के ऑस्कर जीतने पर बेल्ली ने कहा, "मुझे पुरस्कार के बारे में नहीं पता. लेकिन मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं क्योंकि मुझे खूब बधाइयां मिल रही हैं.
वृतचित्र में उनके 'हीरो और पति' बोमन के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि वह एक हाथी को लाने के लिए सलेम गए थे, जिसे कुछ गंभीर समस्या थी और फिर वह उसकी सेवा के लिए बेसब्र थे. दंपति नीलगिरी जिले के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व में थेपक्काडू हाथी शिविर में महावत के रूप में काम करते हैं और हाथी के बच्चों की देखभाल करते हैं.
आदिवासियों के पारंपरिक पेशे को मान्यता करार दिया:
कार्तिकी गोंजाल्विज़ द्वारा निर्देशित 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' में हाथी के दो बेसहारा बच्चे रघु और अमू और उनकी देखभाल करने वाले बोमन और बेल्ली के बीच अटूट संबंध को दिखाया गया है. इस बीच, 'नीलगिरी आदिवासी वेलफेयर एसोसिएशन' के सचिव अलवास ने इस पुरस्कार को आदिवासियों के पारंपरिक पेशे को मान्यता करार दिया. सोर्स-भाषा