जयपुर: बेहतर चिकित्सा सेवाओं का दावा करते हुए SMS मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशिलिटी विंग की शुरूआत तो कर दी गई, लेकिन वहां भर्ती गंभीर मरीजों की सबसे बड़ी "रक्त" की जरूरत को ही प्रशासन भूल गया. जी हां, अस्पताल में भर्ती गंभीर श्रेणी के हर दूसरे मरीज को ब्लड की जरूरत पड़ती है, बावजूद इसके 200 करोड़ की लागत से तैयार विंग में "ब्लड बैंक" की प्लानिंग ही नहीं की गई. नतीजन, रक्त के लिए मरीज और उनके परिजन अब इधर उधर भटकने को मजबूत है. जबकि दूसरी तरफ अस्पताल की अव्यवस्था ने रक्त के "दलाल" की भी मौज कर रखी है. आखिर क्या है सुपर स्पेशिलिटी विंग की जरूरत और मरीजों की दिक्कतें.
एसएमएस ट्रोमा सेन्टर के पास स्थित सुपर स्पेशिलिटी विंग की बिल्डिंग अपनी खुबसूरती के चलते हर किसी को आकर्षित करती है. आकर्षित हो भी क्यों नहीं, केन्द्र और राज्य सरकार ने सुपर स्पेशिलिटी सेवाओं के विस्तार की मंशा से करीब 200 करोड़ रुपए खर्च जो किए है. लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद अस्पताल में भर्ती हर दूसरे मरीज को खून के लिए इधर-उधर भटकता देखा जा सकता है. फर्स्ट इंडिया टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इतनी बड़ी बिल्डिंग में ब्लड बैंक की प्लानिंग ही नहीं की गई. नतीजन,अस्पताल में भर्ती 400 से अधिक मरीज रोजाना रक्त के लिए इधर से उधर भटकते है. अस्पताल में संचालित तीनों सुपर स्पेशिलिटी के चिकित्सक भी मानते है कि मरीजों को दिक्कतें हो रही है,लेकिन व्यवस्था के आगे वे भी मजबूर नजर आते है.
किस तरह के गंभीर मरीज आते है अस्पतात
गेस्ट्रोलॉजी - खून की उल्टी, खाने की नली में रूकावट, पॉइजिनिंग, एक्यूट गैस्टिक इश्यू
यूरोलॉजी - पेशाब में खून आना, पेशाब में अचानक रूकावट, पैराफिमोसिस की दिक्कत
नेफ्रोलॉजी - क्रॉनिक किडनी डिजीज और एक्युट किडनी डिजीज की दिक्कत
SSB को छोड़कर लगानी पड़ती ट्रोमा सेन्टर की दौड़ !
SMS सुपर स्पेशिलिटी विंग में मरीजों की दिक्कतों से जुड़ी खबर
विंग में भर्ती 400 मरीजों में से हर दूसरे मरीज को रक्त की दरकार
लेकिन विंग में ब्लड बैंक नहीं होने के चलते तीमारदार करते भागदौड़
हालांकि,प्रशासन का तर्क ये कि नजदीक के ट्रोमा सेन्टर में है ब्लड बैंक
जबकि सच्चाई ये कि विंग से बाहर निकलते ही रक्त के दलाल सक्रिय
मरीजों को दिक्कतों का तर्क देकर निजी ब्लड बैंक में भेज रहे दलाल
इसके साथ ही रात के वक्त ट्रोमा सेन्टर ब्लड बैंक से रक्त लेना भी चुनौती
क्योंकि, ट्रोमा के भर्ती मरीजों का पहले ही है इस ब्लड बैंक पर लोड
इस पूरे मामले में सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का भी मानना है कि मरीजों की जरूरत के हिसाब से ब्लड बैंक होना चाहिए. क्योंकि विंग में काफी गंभीर श्रेणी के मरीज भर्ती होते है, जिनमें से हर दूसरे मरीजों को रक्त की जरूरत पड़ती है. मल्होत्रा ने कहा कि अभी ट्रोमा सेन्टर के ब्लड बैंक को रक्त के लिए अधिकृत किया हुआ है. विंग में जगह की दिक्कत है, लेकिन हमारा प्रयास है कि ब्लड बैंक या फिर कम से कम स्टोरेज सेन्टर की शुरू की जाए, ताकि मरीजों को इधर उधर भटकने की जरूरत ना पड़े.
सुविधाएं अपार, ब्लड बैंक का इंतजार !
बात SMS अस्पताल में बनाए गए "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक से जुड़ी
एयरकंडिशनर "सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में हर तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं
ट्रोमा सेन्टर के ठीक बगल में बनाई गई है दस मंजिला भव्य इमारत
ब्लॉक के पहले फ्लोर पर हिपेटो पैंक्रियाटो बिलेरी डिपार्टमेंट की सेवाएं
दूसरी फ्लोर में गेस्ट्रो वार्ड, डॉक्टर्स चैम्बर,क्लास रूम,DDCकी सुविधा
तीसरी फ्लोर पर एण्डोस्कॉपी लैब, आठ बैड के गेस्टो आईसीयू के अलावा
एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, अस्पताल अधीक्षक कक्ष, वेटिंग एरिया
चौथी फ्लोर पर यूरोलॉजी वार्ड, डॉक्टर्स चैम्बर,क्लास रूम,DDCकी सुविधा
पांचवी फ्लोर पर नेफ्रोलॉजी वार्ड, आईसीयू, डॉक्टर्स चैम्बर,DDCकी सुविधा
छठवीं फ्लोर पर डायलिसिस एरिया, पोस्ट-प्री ट्रांसप्लांट आईसीयू,
सोटो ऑफिस, रिनल लैब, एचएलए लैब की मिलेगी मरीजों को सेवाएं
सुपर स्पेशिलिटी" ब्लॉक में सातवीं फ्लोर पर मॉड्यूलर ओटी विकसित
लेकिन इतनी सुविधाओं के बावजूद रक्त के लिए भटकते रहते मरीज
सुपर स्पेशिलिटी विंग में रक्त की जरूरत को हर चिकित्सक मानता है,लेकिन प्रशासन डेढ़ साल से खानापूर्ति की कवायद में वाहवाही लूट रहा है. नतीजन, दिन हो या रात, गंभीर श्रेणी के मरीज रक्त की जरूरत के लिए परेशान हो रहे है. ऐसे में उम्मीद है कि इस रिपोर्ट के बाद जिम्मेदार जरूर प्रसंज्ञान लेंगे, ताकि जिस मंशा के साथ सुपर स्पेशिलिटी विंग को बनाया गया है, उसी रूप में मरीजों को चिकित्सा सेवाएं भी उपलब्ध हो.