IMD ने कच्छ और कोंकण क्षेत्रों में लू की चेतावनी वापस ली

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कच्छ और कोंकण क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर लू की चेतावनी वापस ले ली क्योंकि समुद्री हवाओं से इन क्षेत्रों में तापमान में गिरावट आई है.

मौसम विभाग ने रविवार को कहा था कि कच्छ और कोंकण में अगले दो दिनों में लू चलने की संभावना है. अधिकारियों ने कहा था कि इन क्षेत्रों में लू का अलर्ट औसम समय से बहुत पहले जारी किया गया है. आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेश कुमार ने कहा कि मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की कमी के कारण इन क्षेत्रों में आसमान साफ है. कमजोर पश्चिमी विक्षोभ से केवल पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर प्रभावित हुए हैं. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी सामान्य से कम वर्षा के कारण तापमान अधिक है.

38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना:
उन्होंने कहा कि हमने इन क्षेत्रों के लिए लू की चेतावनी वापस ले ली है क्योंकि समुद्री हवा के कारण तापमान में कमी देखी जा रही है. अगले दो-तीन दिनों में अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने का अनुमान है. आईएमडी ने सोमवार दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर जारी एक बयान में कहा कि अगले 24 घंटों के दौरान गुजरात के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है.

33 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान:
मौसम विभाग ने कहा कि अगले तीन दिनों में पश्चिम भारत में तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट का अनुमान है और अगले पांच दिनों में देश के बाकी हिस्सों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है. दिल्ली में रविवार को अधिकतम तापमान 31.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो सामान्य से सात डिग्री अधिक था और दो साल में फरवरी में सबसे अधिक था. मौसम विभाग के अनुसार सोमवार को तापमान 33 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है.

मार्च में देश में सबसे अधिक गर्मी दर्ज की गई:
अगर किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस पर आता है तो लू की स्थिति घोषित की जाती है. साल 1901 के बाद से पिछले साल मार्च में देश में सबसे अधिक गर्मी दर्ज की गई थी और इस कारण गेहूं की पैदावार में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी. सोर्स-भाषा