जयपुर: आठ साल पहले बैन इंजेक्शन का राजस्थान में धडल्ले से निर्माण होने का बड़ा मामला प्रकाश में आया है. छत्तीसगढ़ में ड्रग डिपार्टमेंट की कार्रवाई ने प्रदेश में हड़कम्प मचा दिया है. दरअसल, रायपुर में डायक्लोफेनिक इंजेक्शन(डिक्लोसोल-Q) की "मल्टीडोज" पैकिंग में 33 लाख रुपए की खेप पकड़ी गई है.
सीकर के अजीतगढ़ में GBN फार्मास्युटिकल की तरफ से ये पेन किलर इंजेक्शन बनाया जा रहा था. जबकि DGCI ने 2015 में ही वेटनरी उपयोग के लिए इस इंजेक्शन के 10 ML "मल्टीडोज" पैकिंग को दुरूपयोग के अंदेशे में प्रतिबंधित किया था. हालांकि, राजस्थान के ड्रग डिपार्टमेंट ने सूचना मिलने की त्रुटि सुधारी और "मल्टीडोज" पैकिंग की दो साल पहले जारी परमिशन को "विड्रो" किया है.
वेटनरी उपयोग रोकने के लिए सिर्फ "मल्टीडोज" पैकिंग पर रोक लगी थी:
इस पूरे मामले में ड्रग कंट्रोलर द्वितीय राजाराम शर्मा ने बताया कि वेटनरी उपयोग रोकने के लिए सिर्फ "मल्टीडोज" पैकिंग पर रोक लगी थी. एक, दो व पांच एमएल की पैकिंग में इंजेक्शन बनाया जा सकता है. फार्मूलेशन कमेटी के प्रस्ताव पर ही 10 एमएल के प्रोडेक्ट की परमिशन जारी की गई थी. लिपिकीय त्रुटि से 10 ML की परमिशन जारी हुई थी, जिसे विड्रो किया गया है.