जैसलमेर : लोंगेवाला के पराक्रम को 54 साल, 4 से 7 दिसंबर 1971 को रेगिस्तान में लिखा गया था इतिहास

जैसलमेर : लोंगेवाला के पराक्रम को 54 साल, 4 से 7 दिसंबर 1971 को रेगिस्तान में लिखा गया था इतिहास

जैसलमेर : लोंगेवाला के पराक्रम को 54 साल हो गए. 4 से 7 दिसंबर 1971 को रेगिस्तान में इतिहास लिखा गया था. जैसलमेर की रेत पर लड़ा गया लोंगेवाला युद्ध-पूरा देश आज भी सलाम करता है. 4 दिसंबर से शुरू हुआ संग्राम और 7 दिसंबर की सुबह धुएं का तूफ़ान थमा. सिर्फ 120 भारतीय जवान, सामने पाकिस्तान के 2000 से अधिक सैनिक, दुश्मन के 40 से ज्यादा टैंकों ने रातों-रात भारतीय पोस्ट को घेरने की कोशिश की. लेकिन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में जवान डटे रहे. 

गोलाबारी लगातार होती रही, पर भारत का तिरंगा रेत पर अडिग रहा. लोंगेवाला पोस्ट पर एक भी जवान पीछे नहीं हटा-यही असली पराक्रम था. पाकिस्तानी सेना के टैंक रेगिस्तान की धंसी रेत में फंसकर बेबस हो गए. सुबह होते ही भारतीय वायुसेना ने युद्ध का पूरा रुख बदल दिया. हंटर जेट्स ने दुश्मन के टैंकों को धधकते आग के ढेर में तब्दील कर दिया. 

रेगिस्तान की हर गूंज में उस दिन भारतीय शौर्य की दहाड़ सुनाई दी. संख्या नहीं, हौसला-यही लोंगेवाला की जीत का सबसे बड़ा सबक था. चार दिन का यह संग्राम आज भी विश्व सैन्य इतिहास का चमत्कार माना जाता है. जैसलमेर की धरती पर आज भी उस रात की वीरता की महक मौजूद है. 

लोंगेवाला की जीत ने भारत को 1971 के युद्ध में निर्णायक बढ़त दिलाई. यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं-राष्ट्रभक्ति, शौर्य और संकल्प की अमर गाथा है. 54 साल बाद भी हर भारतीय के दिल में यह पराक्रम जस का तस जिंदा है. लोंगेवाला पोस्ट आज भी वीरों की गवाही देता है. 4–7 दिसंबर 1971 की यह कहानी-भारत की सबसे महान सैन्य जीतों में एक है.