जयपुर: कर्नाटक के विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की नजरे टिकी हुई है. चुनाव परिणाम ना केवल कर्नाटक को बल्कि देश की सियासत को भी प्रभावित करेंगे. चुनाव में प्रवासी राजस्थानियों की भी अपनी भूमिका है. यही कारण है कि सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, जोगेश्वर गर्ग यहां प्रवासियों को साधने के लिए चुनाव प्रचार कर चुके है. हालांकि इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही किसी प्रवासी को टिकट नहीं दिया.
कर्नाटक के बैंगलुरू समेत विभिन्न शहरों में प्रवासी राजस्थानियों के बहुतायत में वोट है. करीब 1 लाख से अधिक प्रवासी राजस्थानी मतदाता तो बेंगलुरू शहर में ही है. राज्य भर में संख्या बल 10 लाख से अधिक कहा जाता है. कर्नाटक में 4 से 5 फ़ीसदी प्रवासी मतदाता हैं जो कई सीटों पर निर्णायक है. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने जो काम किये हैं उनकी देश भर में चर्चा है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाओं की यहां चर्चा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रवासी मतदाताओं को साधने के लिए सोमवार को दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर पहुंचे हैं. जहां सीएम गहलोत जनसभाओं को संबोधित करके प्रवासी मतदाताओं को साधने का काम काम कर रहे हैं. गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस सांसद नीरज डांगी के साथ बेंगलुरु पहुंचे. जहां पर प्रवासी राजस्थानियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का परंपरागत तरीके से स्वागत किया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही वो राजनीतिक हस्ती है जिन्होंने बीते कर्नाटक चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस और जेडीएस की संयुक्त सरकार बनाने की कूटनीति बनाई थी. बाड़ेबंदी का दौर चला था. कांग्रेस आलाकमान ने बीते चुनाव में अशोक गहलोत को बतौर पर्यवेक्षक बना कर भेजा, सियासत उफान पर थी तब गहलोत ने रणनीति के मुताबिक अधिक सीट होने के बावजूद जेडीएस के सीएम फेस कुमारस्वामी का समर्थन किया और गठबंधन सरकार बनवाकर बीजेपी की रणनीति फेल कर दी थी.
गहलोत कर्नाटक में यहां की सियासत से पूर्ण रूपेण वाकिफ:
अब फिर गहलोत कर्नाटक में यहां की सियासत से पूर्ण रूपेण वाकिफ है. डी के शिवकुमार के साथ अशोक गहलोत का युवा कांग्रेस के जमाने से संबंध है. पुराने बेंगलुरु, मंगलोर, मैसूर समेत कई इलाकों में राजस्थानी प्रवासी फैले है, करीब 25 सीटों पर कहीं ज्यादा और कहीं आंशिक प्रभाव रखते है. इनमें राज्य के जालोर, सिरोही, पाली, शेखावाटी के अंचल के मूल निवासियों की संख्या अधिक है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों में प्रवासियों की पैठ है और पदों पर भी काबिज है.