VIDEO: सरदार पटेल और राजस्थान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कही दिल की बात, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: सरदार पटेल नहीं होते तो जोधपुर रियासत पाकिस्तान में होती और हम वहां के निवासी कहलाते, हमारी स्थिति भी POK के नागरिकों जैसी बदहाल होती. ये कहना बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का. बीजेपी के सरदार पटेल से जुड़े जयंती पर होने मेगा कार्यक्रमों को लेकर उन्होंने अपने दिल की बात कह दी और इतिहास को सामने रख दिया.

1947 का काल खंड, भारत को 15अगस्त को आजादी का पर्व मनाना था... लेकिन इससे पहले ही सियासत का दौर शुरु हो गया और जोधपुर नहीं रहा उससे अछूता. पाकिस्तान के निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत को तोड़ने के लिये सियासी शतरंज पर कुटील चालें बिछा दी. भोपाल और जूनागढ को उकसा दिया और पाकिस्तान में जाने को आतुर हो उठे, इसी बीच संपर्क किया जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह के.  देश में पाकिस्तान से सटी जिस रियासत की सर्वाधिक सीमा थी वो था जोधपुर सामरिक नजरिये से बेहद अहम.  महाराजा से भोपाल नबाव के जरिये जिन्ना ने संपर्क साधा और पाकिस्तान में शामिल होने की पेशकश कर दी. कहा जाता है जिन्ना ने जोधपुर महाराजा की हर शर्त को मानने की हां कर दी. जोधपुर दीवान के जरिये तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को भनक लग गई और वे जोधपुर के उम्मेद भवन पहुंच गये. 

उन्हें अपने सामने देखकर महाराजा चौंके. इतिहास कहते है कि इससे पहले सचिव मेनन के सामने महाराजा ने पिस्तौल तान दी थी. पटेल ने हनवंत सिंह से पाकिस्तान के साथ जाने को मना किया. पाकिस्तान की कुत्सित चालों से अवगत कराया. कूटनीतिक प्रेशर के आगे आखिरकार महाराजा माने और आजादी मिलने से ठीक 4दिन पहले 11अगस्त 1947 को हनवंत सिंह ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्शेसन पर हस्ताक्षर कर दिये. इतिहास में इस घटना का उल्लेख और आज इसे ताजा कर दिया बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने. सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों के सिलसिले में मदन राठौड़ ने कहा कि सरदार पटेल नहीं होते तो जोधपुर रियासत पाकिस्तान में चली जाती और हम वहां के निवासी होते,POK के लोग जिस तरह दुर्दिन देख रहे वैसे दिन देखने पड़ जाते.
मदन राठौड़ मारवाड़ के निवासी है..बरसो से राजनीति में सक्रिय है लंबे समय तक पाली जिला अध्यक्ष रहे. संघ,जनसंघ में रहे और आज राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद है. मदन राठौड़ को याद है कि सरदार पटेल की भूमिका रियासतों के एकीकरण में कितनी अहम थी विशेष तौर पर राजस्थान को लेकर. जोधपुर रियासत को लेकर उनके मन की बात सामने आ गई.

आज़ादी के समय राजस्थान में 19 बड़ी रियासतें, 3 ठिकाने चीफशिप और 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा थे..पटेल ने कूटनीति, दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का उपयोग करते हुए इन रियासतों के शासकों को भारतीय संघ में विलय के लिए राजी किया..कुछ रियासतें, जैसे जोधपुर, पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन पटेल ने प्रभावी ढंग से बातचीत करके उन्हें भारत में विलय के लिए मना लिया.

चरणबद्ध एकीकरण राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में 18 मार्च, 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर, 1956 को पूरा हुआ, जिसमें कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे. 30 मार्च, 1949 को पटेल ने वृहत् राजस्थान का विधिवत उद्घाटन किया, जिसमें जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर जैसी बड़ी रियासतें शामिल हुईं. इस दिन को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने विलय पत्र के माध्यम से शासकों को कुछ अधिकार और प्रिवी पर्स जैसे प्रोत्साहन देकर विलय को आसान बनाया था. आज के राजस्थान की तस्वीर को बनाने में सरदार पटेल का योगदान अहम था इसलिए वो लौह पुरुष कहलाए.