जयपुर: रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान का इंतकाल हो गया. इसके साथ ही फिर पुरानी बातों को बल मिल गया. अर्थ ये हैं कि राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे. अमृत लाल मीना के बाद जुबेर खान का निधन हो गया. राजस्थान में सात विधानसभा के उप चुनाव होंगे.
राजस्थान विधानसभा की मौजूदा इमारत जब से स्थापित हुई है तभी से यह आमतौर पर देखा गया है कि कभी भी 200विधायक एक साथ सदन के अंदर एक साथ नहीं बैठे. किसी ना किसी घटनाक्रम के कारण ऐसा होता आया है कोई ना कोई विधायक 200विधायको के बीच से चला गया. भजन लाल शर्मा सरकार के बनने के बाद हुए लोकसभा चुनावों में पांच विधायक सांसद बन गए यहां अब विधानसभा के उप चुनाव होंगे. उप चुनावों की घोषणा नहीं हुई इससे पहले ही दो विधायक इस दुनिया से चल बसे. सलूंबर से बीजेपी विधायक अमृत लाल मीना और रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो गया. इससे इस किवदंती को बल मिला है कि 200विधायकों के पूरी तरह सदन में नहीं बैठने का इतिहास वो टूटने वाला नहीं है.
- संयोग देखिए कि पिछली गहलोत सरकार में भी पहला उप चुनाव रामगढ़ विधानसभा का हुआ था
- तब जुबेर खान की पत्नी सफिया जुबेर बनी थी विधायक
- अब खुद जुबेर खान विधायक बनने के बाद अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए
- पिछली गहलोत सरकार में भी उप चुनावो का इतिहास रहा था पंडित भंवर लाल शर्मा,किरण माहेश्वरी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल,कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया था
- फरवरी 2001 के दौरान जब 11 विधानसभा का सत्र था विधानसभा पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हो चुकी थी.
-25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन इसका उद्घाटन करने आने वाले थे जो बीमार होने की वजह से नहीं आ सके
- आखिरकार बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरु हो गई
- इसके बाद नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ तब से अब तक किसी ना किसी विधायक का निधन होता रहा है
- शुरुआती दौर में विधायक किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखा भाई, भीमसेन चौधरी, रामसिंह विश्नोई, अरुण सिंह, नाथूराम अहारी चल बसे थे.
- वसुंधरा राजे के पिछले शासन के दौरान कल्याण सिंह चौहान, कीर्ति कुमारी, धर्मपाल चौधरी का विधायक पद पर रहते हुये निधन हो गया था.
---उप चुनावों का भी लगातार मौजूदा विधानसभा की इमारत से सामना ----
-विधानसभा से अचानक विधायकों की गैर मौजूदगी की एक बड़ा कारण उपचुनाव रहे
-समय समय पर कई विधानसभा क्षेत्रों को उपचुनाव का सामना भी करना पड़ा
- फरवरी 2002 में किशन मोटवानी के निधन के बाद अजमेर पश्चिम में उपचुनाव हुए
-दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद चुनाव हुआ
-सागवाड़ा विधायक भीखा भाई के निधन बाद उपचुनाव हुआ
-2005 जनवरी में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उपचुनाव हुआ
-2006 मई में डीग विधायक अरुण सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ
-2006 दिसंबर में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ
- 2017 में धौलपुर विधायक बीएल कुशवाह के जेल जाने के बाद वहां भी उपचुनाव हुए
- 2017 में सितंबर के महीने में बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद मांडलगढ़ में उपचुनाव हुआ
- 21 फरवरी 2018 को बीजेपी विधायक कल्याण सिंह का भी निधन हो गया उसके बाद मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी भी इस दुनिया में नहीं रहे पिछली सरकार के समय रामगढ़ उपचुनाव का सामना करना पड़ा
- सहाड़ा,सुजानगढ़ , वल्लभनगर और राजसमंद के विधानसभा उप चुनाव भी हुए थे गहलोत सरकार के समय
- मौजूदा भजनलाल सरकार के समय खींवसर,चौरासी, देवली उनियारा, दौसा, झुंझुनूं के विधायकों के सांसद बनने का कारण उप चुनाव होंगे.. सलूंबर और रामगढ़ में स्थानीय विधायक के निधन के कारण उप चुनाव होगा
- देश का पहला प्रदेश जहां इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सात विधानसभा के उपचुनाव होंगे
राजस्थान की पुरानी विधानसभा जयपुर के चारदीवारी के मानसिंह टाउन हॉल में चला करती थी, नई विधानसभा आधुनिक परिवेश के साथ नए जयपुर में बनाई गई. लेकिन विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति हमेशा शंकाओं से घिरी रही. खुलकर विधायक भले ही अंधविश्वासों के बारे में बात नहीं करें लेकिन अंदरूनी तौर पर कानाफूसी के जरिए यह कहते रहते हैं की विधानसभा के भवन को शुद्धिकरण की जरूरत है. विधायकों के फोटो सेशन में शायद कभी ऐसा हुआ हो जब पूरे विधायक एक साथ नजर आय़े हो. साफ है सदन में कुर्सियां 200 है मगर कभी भी 200 नहीं बैठ पाते.