जयपुर: सूर्य की झलकती धूप में शीतल तरु की छांव है मां, उगते सूरज की बढ़ती किरणों का बिखराव है मां....आज दुनिया में मातृ दिवस मनाया जा रहा है. मातृ दिवस पर कुछ लाइन जो मां के प्यार को बयां करती है. वैसे तो हर दिन मां का है. हर दिन मां को पूजा जाना चाहिए. सुबह उठते ही सबसे पहला प्रणाम माता पिता को..फिर गुरू और ईश्वर को. वो मां ही है, जो आपको दुनिया में लाई है और अच्छे बूरे का ज्ञान समझाया है. मां से बड़ा कोई गुरू नहीं और मां से दूजा कोई बड़ा नहीं है. मां का आंचल ठंडी छांव जैसा है. मां के साथ होने से बडे से बडे संकट का भी हंसकर सामना कर सकते है. मां है तो दुनिया है.सारा ब्रह्मांड मां में समाया.मां से बढ़कर कोई नहीं दूजा. जिसमें भगवान को भी झुकाने की क्षमता, वो यूं ही नहीं कहलाती ममता. जो अपने शरीर से दूसरे शरीर को जन्म देती.
मां से बढ़कर ब्रह्मांड में कोई नहीं दूजा:
9 माह क्या पूरी जिदंगी जीते जी अपनी संतान को देती है मां. रोटी की भूख हो, लेकिन फिर पहले संतान को खाना परोसती मां. मां की ममता बड़ी दयालु, मां से बढ़कर ब्रह्मांड में कोई नहीं दूजा. मां निःस्वार्थ भाव से अपनी सन्तान के लिए अपने जीवन को न्योछावर करने से भी पीछे नहीं हटती. वो सन्तान की खुशी के लिए अपना अस्तित्व भी दांव पर लगा देती है. सारी-सारी रात जागकर अपनी नींदें कुर्बान कर, लोरियां सुनाकर, थपकियां देकर सुलाने वाली शिशु के घुटनों के बल चलने पर उसके पीछे-पीछे चल पड़ती है. लड़खड़ाने पर खुद गिरकर बच्चों को संभालती है. संभल जाने पर आश्वस्त होकर उसके सुन्दर भविष्य के लिए सपने बुनती है. अपनी सन्तान के सुखद संसार के लिए अपने तन-मन की भी परवाह नहीं करती. मातृ दिवस पर उस मां को कोटि- कोटि नमन है.
मां अनमोल औषधि:
मां की ममता से बड़ा ना कोई दूजा. तो सदा से ही सन्तान को अपना लहू पिलाती आई है. उसके दूध के कर्ज से तो मुक्त हो ही नहीं सकते. मां के लिए मातृदिवस की आवश्यकता ही नहीं फिर भी यदि 12 मई मातृ-दिवस के रुप में मनाया जाता है तो मां की भावनाओं की कद्र करें. उसके प्रेम, त्याग, तपस्या, आस्था और विश्वास को कभी चोट ना पहुंचाएं. मां वो निर्झरणी है जिसके स्नेह रुपी निर्मल जल से सिंचित होकर हमारा जीवन पावन होता है. जो अपनी सन्तान के लिए ही जीवन समर्पित करती है वह मां अनमोल औषधि है. सृजनकर्ता है. सम्पूर्ण सृष्टि है. इस छोटे से शब्द में सारी दुनिया समाई हुई है. मां है तो हम हैं. मां नहीं होती तो हम भी नहीं होते. उस मां को कोटि-कोटि नमन है. मां और मातृ भूमि का सदैव आदर करना चाहिए. कहा भी गया है.
हर दिन संतान के लिए मातृ दिवस:
सारे लोक मां में समाएं. चारों धाम मां के चरणों में. सारी मुसिबतों को सहकर भी अपनी सन्तान की सुरक्षा के लिए हर पल कष्ट झेलकर हंसती, मुस्कराती और खुशियों का अनुभव करती है मां और जन्म देकर सम्पूर्णा कहलाती है वो है ममता. शिशु को संसार में लाने के बाद उसके जीवन को सजाती और संवारती मां. जो एक बिन्दु को पूर्ण व्यक्तित्व प्रदान करती है वो है मां. मां के लिए केवल एक ही दिन नहीं...बल्कि हर दिन संतान के लिए मातृ दिवस है.
मां हंसती, तो पूरा संसार हंसता:
मां हमेशा से ही वन्दनीय है और रहेगी. मां केवल एक शब्द ही नहीं है, इसमें पूरा जहान समाया. संतान के लिए पूरा संसार है मां. मां है तो दिल की धड़कने हैं. स्पन्दन है. मां नहीं दिखती तो सारा संसार ठहरा हुआ नजर आता है. वो जीवन की खुशबु है. वो है तो सारे संसार की खुशियां है. वो नहीं तो सब कुछ विराना विराना सा नजर आता है. मां ही हमारी पहली गुरु है, जो हमें संस्कार सिखाती है. चलना सिखाती, खाना सिखाती. वो हमारे अंदर संस्कार भरकर जीना सिखाती है. वो एक धरातल है, हमारे पैरों का जमीन देती मां. मां हमेशा ही अपनी संतान के लिए हितों का पालन करती. ईश्वर को देखा नहीं, मां की मूर्त में ही ईश्वर समाये. मां हंसती, तो पूरा संसार हंसता है. मां के चेहरे पर मुस्कान प्यारी. ईश्वर से बड़ी होती है मां. संसार के सारे गुणों को माला रुप में पिरोकर हमें संस्कारवान बनाती है मां. केवल मातृ-दिवस पर ही मां की वन्दना या सम्मान में कुछ बोलकर या लिखकर ही इति श्री नहीं हो जाती. बल्कि हर दिन मां को ही समर्पित होना चाहिए, जो हमें इस संसार में लाई है.