VIDEO: लैंड पूलिंग कानून के तहत पहली बार मिला प्रस्ताव, किसानों ने स्वेच्छा से भूमि समर्पित करने का दिया प्रस्ताव, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: खातेदारों से सहमति से भूमि अधिग्रहण के लिए प्रदेश में लागू लैंड पूलिंग कानून के तहत राज्य सरकार को पहली बार खुद किसानों ने प्रस्ताव दिया है. कानून के तहत खुद की जमीन देने का आखिर क्या है यह प्रस्ताव और राज्य सरकार मामले में क्या कर रही है कार्रवाई,

पिछले कई सालों की लंबी कवायद के बाद प्रदेश में 4 अप्रेल 2016 को लैंड पूलिंग कानून लागू किया गया. यह कानून भले ही पिछली भाजपा सरकार के समय लागू हुआ. लेकिन इस कानून को उपयोग में लाने के लिए नियम नहीं लागू किए गए. इसके बाद जब कांग्रेस सरकार आई तो मई 2020 में कानून के तहत नियम लागू किए गए. इन नियमों के लागू होने के बाद यह कानून पूरी तरह से अस्तित्व में आ गया है. इसी कानून के तहत क्षेत्र के विकास के उद्देश्य से राजधानी जयपुर के फागी रोड स्थित गांवों के किसानों ने स्वेच्छा से अपनी भूमि देने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इस कानून के तहत किस तरह भूमि अधिग्रहण का प्रावधान है?

यह है लैंड पूलिंग कानून
- इस कानून के तहत खातेदारों से आपसी सहमति से भूमि लेने का प्रावधान है
-जिस इलाके में लैंड पूलिंग करनी उसे इस कानून के तहत पहले अधिसूचित किया जाता है
- खातेदारों को यथासंभव अपनी भूमि में से मुआवजे के तौर पर अधिकतम 55 प्रतिशत तक भूमि मिलती है
- 15% भूमि सड़क के लिए 15% भूमि सुविधा क्षेत्र 5% भूमि ईडब्ल्यूएस 
-और एलआईजी वर्ग के लिए और 10% भूमि जेडीए को मिलना प्रस्तावित है
- मौके की परिस्थितियों और खातेदारों की सहमति के आधार पर इस अनुपात में बदलाव की संभावना है
-प्लानिंग के लिए जिस खातेदार से जितने प्रतिशत भूमि ली जाएगी उसे उतने ही प्रतिशत विकसित भूमि दी जाएगी
-यथासंभव जहां खातेदार की मूल भूमि होगी उसी में से उसे दुबारा विकसित भूमि आवंटित की जाती है
-ऐसा नहीं होने पर सबसे निकट की भूमि खातेदार को दी जाती है
-अवाप्ति कानून की लम्बी प्रक्रिया से नहीं गुजरने के कारण भूमि अधिग्रहण में अधिक समय नहीं लगता है

राजधानी के फागी रोड स्थित गांवों के किसानों ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को ज्ञापन सौंपकर लैंड पूलिंग कानून के तहत स्वेच्छा से अपनी भूमि देने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव पर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने यूडीएच सलाहकार जीएस संधु को मामले के अध्ययन करने के निर्देश दिए हैं. इसलिए मामले में चर्चा के लिए यूडीएच सलाहकार जीएस संधु ने 6 जनवरी को नगरीय विकास विभाग और जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक बुलाई है. आपको बताते हैं कि किसानों की ओर से सौंपे गए प्रस्ताव में किस तरह भूमि अधिग्रहण को जरूरी बताया गया है.

किसानों के प्रस्ताव में भूमि अधिग्रहण को लेकर तर्क
- जयपुर के फागी रोड स्थित ग्राम श्रीरामपुरा, बालावाला,डाबला खुर्द, लाखना व अचरावाला के किसानों ने प्रस्ताव दिया है
-प्रस्ताव में कहा गया है कि शहर के दक्षिण स्थित इस क्षेत्र में रोहिणी प्रथम,द्वितीय व तृतीय आवासीय योजनाएं हैं
-यहां जेडीए की ओर से 380 बीघा भूमि एनआरआई योजना के लिए अवाप्त की जा चुकी है
-ग्राम चित्तौड़ा में प्राधिकरण स्वामित्व की 1000 बीघा से भी अधिक भूमि विभिन्न योजनाओं के लिए उपलब्ध है
-यह क्षेत्र एयरपोर्ट से रिंग रोड के माध्यम से सीधे जुड़ा हुआ है
-बीसलपुर जल प्रदाय योजना का जल संग्रहण केन्द्र स्थापित होने के साथ अन्य आधारभूत सुविधाएं विकसित की गई हैं.