राजस्थान की नई खनन और एम सैंड नीति 4 दिसंबर को होंगी जारी, कई रियायत और नियमों का सरलीकरण

जयपुरः नई खनिज नीति से खनिज खोज, खनन, तकनीक का उपयोग, जीरो लॉस माइनिंग, औद्योगिक निवेश, रोजगार और राजस्व को बढ़ावा मिलेगा. प्रक्रिया में आएगी पारदर्शिता और सरलीकरण का लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 4 दिसंबर को दोपहर 3:00 बजे सीएमओ में पॉलिसी लॉन्च कार्यक्रम में आठ अन्य नीतियों के साथ खनिज नीति को भी जारी करेंगे. 

राज्य की नई खनिज नीति में खनिजों के खोज कार्य में तेजी लाने, खनिज रियायतों का समय पर आवंटन, खनन क्षेत्रों के विकास, खनिज बजरी व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने, खनन नियमों व परमिट व्यवस्था सहित प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने, अवैध खनन, निगर्मन व भण्डारण के विरुद्ध जीरो टोलरेंस नीति अपनाने, खनन क्षेत्र में नवीनतम तकनीक का उपयोग सहित प्रदेश में खनिज क्षेत्र में औद्योगिक निवेश, रोजगार और राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया गया है. नई खनिज नीति के क्रियान्वयन के माध्यम से प्रदेश की जीडीपी में वर्तमान की 3.4 प्रतिशत की भागीदारी को 2029-30 तक 5 प्रतिशत और 2046-47 तक 6-8 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. 

राजस्थान खनिज नीति-2024
नई नीति से खनन उद्योगों को बढ़ावा, रोजगार व राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी सुनिश्चित
इस नीति में खनिज ब्लॉक्स की प्री-एम्बेडेड अनुमतियों के साथ नीलामी
जनजातीय क्षेत्रों में बिड सिक्योरिटी आधी करने, और पोस्ट-ऑक्शन सेल को मजबूत बनाने के प्रावधान
आधुनिक तकनीक से जीरो वेस्ट माइनिंग, ऑनलाइन रॉयल्टी वसूली, परमिट सरलीकरण
अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस के तहत जियो-फेंसिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और आरएफआईडी चेकपोस्ट होंगे लागू
'राजस्थान एम-सेण्ड नीति-2024' 
एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना, बजरी के सस्ते विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर 
एम-सेण्ड इकाई की स्थापना के लिए 3 साल के अनुभव, 3 करोड़ रुपए की नेटवर्थ व 3 करोड़ रुपए के टर्नओवर की बाध्यता समाप्त 
ओवरबर्डन पर देय डीएमएफटी की राशि में छूट
सरकारी और सरकार से वित्त पोषित निर्माण कार्यों में बजरी की मांग की आपूर्ति में 25 प्रतिशत एम-सेण्ड के उपयोग की अनिवार्यता 
एम-सेण्ड को बढ़ावे के लिए इन इकाइयों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024 के मिलेंगे परिलाभ 

राजस्व को बढ़ाकर एक लाख करोड़ करने के लक्ष्य पर जोरः
इसी तरह से खनिज क्षेत्र से सालाना करीब 7500 करोड़ रु. के राजस्व को बढ़ाकर एक लाख करोड़ करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया गया है. इसी तरह से खनिज क्षेत्र में करीब 35 लाख लोगों के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर एक करोड़ तक करना है. इसके साथ ही प्रदेश में सस्टेनेबल माईनिंग, स्ट्रेटेजिक व क्रिटीकल मिनरल्स के एक्सप्लोरेशन और माइनिंग के साथ ही पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक दायित्व सहित गुड गवर्नेंस के मूल सिद्धांतों का समावेश किया गया है. नई खनिज नीति में केन्द्र सरकार की नीति के अनुरुप प्रदेश में खनिज खोज कार्य में निजी क्षेत्र की भी भागीदारी बढ़ाने, केन्द्र व राज्य सरकार के एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट में उपलब्ध राशि का खनिज खोज कार्य हेतु सुदृढ़ ढांचा विकसित करने पर जोर दिया गया है. इसी तरह से ऑक्शन के साथ ही खनन कार्य आरंभ हो सके इसके लिए प्री एम्बेडेड अनुमतियां प्राप्त करके ही खनिज ब्लाक्स की नीलामी करने, खनन सेक्टर में जनजाति क्षेत्र व स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिष्चित करने सहित स्थानीय युवाओं की भागीदारी तय करने के प्रावधान किये गये हैं. 

आवंटन की प्रक्रिया को बनाया जाएगा सरलः
इसके लिए छोटे छोटे पोकेट्स भी तैयार किये जाएंगे. नई नीति में नीलामी के बाद की विभिन्न अनुमतियों आदि की औपचारिकताएं पूरी कराने में विभागीय सहभागिता तय करते हुए पोस्ट ऑक्शन सैल को सुदृढ़ किया जाएगा. राज्य की मिनरल डायरेक्ट्री तैयार कर विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने के साथ ही बजरी के अवैध खनन को रोकने और विक्रय मूल्य का लाभ सीधे आमनागरिकों तक पहुंचाने के लि सेण्ड पोर्टल विकसित किया जाएगा. बजरी की निर्बाध आपूर्ति तय करने के लिए खनन पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा. इसी तरह से अप्रधान खनिजों के रियायत नियमों को सरल व तर्कसंगत बनाया जाएगा ताकि समस्याओं व विसंगतियों का निराकरण हो सके.