लोकदेवता अमरा जी भगत का बनेगा पेनोरमा, CM गहलोत ने दी 4 करोड़ रुपए की स्वीकृति; यहां जानिए कौन थे अमरा भगत

लोकदेवता अमरा जी भगत का बनेगा पेनोरमा, CM गहलोत ने दी 4 करोड़ रुपए की स्वीकृति; यहां जानिए कौन थे अमरा भगत

जयपुर: चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर तहसील के गांव दौलतपुरा में लोकदेवता अमरा जी भगत का पेनोरमा बनेगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेनोरमा निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपये की  स्वीकृति दे दी है. इसमें अमरा जी भगत के द्वारा किए गए सामाजिक सरोकार के कार्यों को विभिन्न माध्यमों के जरिए दर्शाया जाएगा. 

यहां पर मुख्य पेनोरमा भवन, सभागार, हॉल, पुस्तकालय, प्रवेश द्वार, छतरी, स्कल्पचर्स, ऑडियो-विडियो सिस्टम, शिलालेख, विभिन्न आर्ट वर्क सहित अनेक कार्य होंगे।  इस पेनोरमा के लिए जिला कलक्टर चित्तौड़गढ़ द्वारा आराजी नंबर 366/115 रकबा 1.20 हैक्टर भूमि आवंटित की जा चुकी है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र के गाडरी समाज और जन भावनाओं के अनुरूप लोकदेवता अमरा जी भगत पेनोरमा निर्माण की स्वीकृति दी है. 

 

जानिए कौन थे अमरा भगत: 
चित्तौड़गढ़ जिले के नरबदिया तहसील के भदेसर में संत शिरोमणि अमरा भगत का समाधि स्थल है. जब संत अमरा भगत का जन्म हुआ तो उन्होंने जन्म के 9 दिन तक अपनी मां का दूध नहीं पिया था. सूर्य पूजन की रस्म पूरी करने के बाद मां का दूध पीने पर इस यशस्वी बालक की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई. उस समय देश में प्लेग नाम की महामारी और लाल ताव के नाम की बीमारी फैली तो उन्होंने इस महामारी से बचाने के लिए अनगढ़ बावजी की धूनी पर अमरा भगत ने घोर तपस्या की और लोगों को बचाया.

अमरा भगत से जुड़ा चमत्कार: 
इनसे जुड़ी किवदंती है कि एक बार नरबदिया गांव के कुछ लोगों का एक समूह चार धाम की यात्रा के लिए गया था. उसमें अमरा भगत भी थे. उसी समय रक्षाबंधन का त्योहार आया तो उनके माता-पिता ने बेटे की अनुपस्थिती के चलते कुछ भी पकवान नहीं बनाया. जब अमरा भगत ने इस मनोदशा को महूसस किया तो उन्होंने अपने साथियों को स्नान करने की कह कह सीधे अपने गांव लौट आए और मंदिर में माला जपने लगे. इस दौरान भैरु देवाता को सिर्फ चावल का भोग लगाने उनकी मां मंदिर पहुंती तो उन्होंने अपने बेटे को जाप करता देखा. उसके बाद उन्होंने खुशी से घर आकर पकवान बनाया. इसी दौरान अमरा भगत धूप के लिए लाई गई कटोरी को लेकर चारधाम यात्रा पर (द्वारकाधीश) अपने साथियों के बीच पहुंच जाते हैं. नरबदिया के चारभुजा मंदिर की उस कटौरी को देखकर उनके साथी हैरान हो गए और चमत्कार को समझने के बाद उनकी दिव्य शक्ति को पहचान जाते हैं. उसी दिन से इनका भगवान के रूप में पूजा स्मरण करने लग जाते हैं.

अमरा भगत से जुड़ी एक और अनोखी कहानी: 
वहीं इनके बारे में एक और किवदंती है कि उन्होंने समाधि लेने के पहले अमरा भगत ने अपने हाथों से समाधि लेने का गड्ढा कर दिया. साथ ही अपने अनुयायियों को समाधि के बारे में बताय दिया. इसकी सूचना प्रशासन के पास भी पहुंच गई. जिस पर पुलिस महकमा भी उनके गांव पहुंच गया. पुलिस ने समाधि का पत्थर हटवाने का आदेश दिया तो उन्हें उसमें चमत्कार दिखाई दिया. इस चमत्कार से पुलिस प्रशासन भी भयभीत हो गया और तुरंत समाधि को सभी लोगों के सहयोग से पुनः समाधि का आकार देने में सहयोग किया गया. बता दें कि संत अमरा भगत का जन्म धनगर गायरी समाज में हुआ. उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम दाखी बाई था. उनका जन्म सावन मास जन्माष्टमी संवत 1942, सन 1898 हुआ था. उन्होंने समाधि सावन सुदी 9, बुधवार संवत 2006 , सन 1951 में ली.