जयपुर: आइए अब आपको रुबरू कराते हैं रणथंभौर में वन्यजीवों को सुरक्षित रखने के लिए उनके विचरण क्षेत्र में अंडरपास की उपयोगिता पर किए गए सबसे बड़े अध्ययन से. इस अध्ययन से भविष्य में दूसरे टाइगर रिजर्व व फॉरेस्ट रिजर्व में भी वन्यजीवों के विचरण क्षेत्र से निकलने वाले हाईवेज और सड़कों के मैनेजमेंट में मिलेगी मदद. साथ ही वन्यजीवों की सड़क हादसे में मौत के आशंका भी हो जाएगी कम.
रणथंभौर में एक अध्ययन ने दिखाए दो महत्वपूर्ण पहलू
वन्यजीवों की जेहनी परिपक्वता और इंसानी इंजीनियरिंग के फायदे के सुखद परिणाम
टाइगर रिजर्व में सवाई माधोपुर-श्योपुर हाईवे पर वन्यजीवों के मारे जाने की आशंका बहुत अधिक
वन्यजीवों को दुर्घटना के डर के बिना सड़क पार करने के लिए राजमार्ग के नीचे अंडरपास से बदली फिजा
CWLW पीके उपाध्याय के निर्देश करवाया गया महत्वपूर्ण अध्ययन
वन्यजीवों द्वारा अंडरपास का उपयोग करने के लिए लगवाए थे कैमरा ट्रैप
और कैमरा ट्रैप द्वारा खींची तस्वीरों ने दिखा दिया भविष्य का फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्लान
नीम चौकी, राजबाग, कुशालीपुरा, बोदल और गुड़ा में लगाए गए थे कुल 23 कैमरा ट्रैप
15 अप्रैल से 3 मई दोपहर तक इन कैमरा ट्रैप्स के जरिए मिली कुल 3417 तस्वीर
बाघ, लेपर्ड, हाइना, डेजर्ट कैट, गोल्डन जैकल, एशियाई पाम सिवेट, स्लॉथ बियर, इंडियन ग्रे मंगूज़
रूडी मंगूज़, रीसस मकाक, पॉर्क्युपाइन, सांभर, चीतल, खरगोश, हनुमान लंगूर, नीलगाय
सहित दूसरे वन्यजीव दिखे अंडर पास के नीचे से रोड क्रॉस करते हुए
संकेत साफ 'जंगल से निकलते हाईवेज व सड़कों के नीचे बने अंडरपास तो वन्य जीव नहीं हों हादसे के शिकार'
अध्ययन में FD अनूप केआर, डीसीएफ डॉ रामानंद भाकर, फील्ड बायोलॉजिस्ट हरि मोहन मीणा
जीआईएस एंड डाटा सिक्योरिटी एक्सपर्ट विवेक राज की भी रही अहम भूमिका
भविष्य में इस अध्ययन से टाइगर रिजर्व व दूसरे फॉरेस्ट रिजर्व के मैनेजमेंट में मिलेगा फायदा
दरअसल प्रदेश में 5 टाइगर रिजर्व और 36 कंजर्वेशन रिजर्व हैं. इनमें ढाई लाख से ज्यादा वन्यजीवों का विचरण रहता है, जिनमें बाघ, लेपर्ड, हाइना, स्लॉथ बियर सहित दर्जनों प्रजातियों के वन्य जीव शामिल हैं. हर साल कई वन्य जीव सड़क हादसे में मारे जाते हैं. दरअसल राजस्थान में कई हाईवे और दूसरी सड़क सघन वन क्षेत्र से होकर गुजरती हैं. वन्य जीव विचरण करते हुए सड़क पर आते हैं और वाहनों से टकराकर हादसे का शिकार हो जाते हैं. इन हादसों को कम करने और हाईवेज व दूसरी सड़कों के नीचे अंडरपास की उपयोगिता को लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय के निर्देश पर रणथंभौर में एक खास अध्ययन करवाया गया, जिसके बड़े ही सुखद परिणाम सामने आए. जो भविष्य में फॉरेस्ट मैनेजमेंट और वाइल्डलाइफ की लाइफ सेविंग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाले हैं.
अध्ययन में FD अनूप केआर, डीसीएफ डॉ रामानंद भाकर, फील्ड बायोलॉजिस्ट हरि मोहन मीणा, जीआईएस एंड डाटा सिक्योरिटी एक्सपर्ट विवेक राज और फॉरेस्ट स्टाफ की भी अहम भूमिका रही.इस अध्ययन में सवाई माधोपुर-श्योपुर हाईवे पर स्थित विभिन्न अंडरपास के नीचे 23 कैमरा ट्रैप लगवाए गए 15 अप्रैल से 3 में तक की अवधि में इन कैमरा ट्रैप से करीब 3417 फोटो आई जिनमें 4 बाघों के भी 4 अलग-अलग रूट्स पर 10 कैमरा ट्रैप फोटो शामिल हैं. ये 4 अलग-अलग बाघ अध्ययन में नीम चौकी, राजबाग, कुशालीपुरा और बोदल अंडरपास का उपयोग करते दिखाई दिए. बाघिन टी 127 राजबाग व नीम चौकी, बाघिन टी 8 कुशालीपुरा, बाघ टी 108 बोदल व बाघिन टी 2401 कुशालीपुरा अंडरपास का उपयोग करते दिखे.
इन चारों बाघ-बाघिन की कैमरा ट्रैप में अध्ययन अवधि में 10 बार कैमरा ट्रैप में फोटो आई. अध्ययन में साफ है कि अंडरपास बनने से वाइल्डलाइफ की जान को खतरा कम हुआ है. ऐसे में अन्य टाइगर रिजर्व व फॉरेस्ट रिजर्व में भी अंडरपास बनाने की उपयोगिता को साबित हुई है. अध्ययन में बाघ व दूसरे वन्यजीवों के माइग्रेटरी रूट, टैरेटरी और उनके व्यवहार का भी पता चला. साथ ही भोजन के लिए अलग-अलग वन्यजीवों के सुरक्षित समय चक्र के संकेत मिले और रात के अंधेरे में शाकाहारी वन्यजीवों द्वारा सुरक्षित रास्ता पार करने की फितरत का भी पता चला. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भविष्य में इस अध्ययन के जरिए वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर सड़क निर्माण की इस तकनीक को अपनाया जा सकता है.