नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचने के लिए सुशासन के महत्व पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण में भेदभाव और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी. मोदी ने पसमांदा मुसलमानों के पिछड़ेपन का भी उल्लेख किया और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुंचने के केंद्र सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया. बजट के बाद ‘अंतिम छोर तक पहुंचने’ (रीचिंग द लास्ट माइल) के विषय पर आयोजित वेबिनार में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासियों में सबसे वंचितों के लिए एक विशेष मिशन शुरू कर रही है.
उन्होंने कहा कि हमें देश के 200 से अधिक जिलों और 22,000 से अधिक गांवों में रह रहे जनजातीय लोगों को यथाशीघ्र विभिन्न सुविधाएं प्रदान करनी होंगी. इसी तरह हमारे अल्पसंख्यकों में, विशेष रूप से मुसलमानों में हमारे पास पसमांदा मुसलमान हैं. हमें उन तक कैसे लाभ पहुंचाना है. आजादी के इतने वर्षों बाद भी वे बहुत पीछे हैं.’’ मुसलमानों में पिछड़े वर्गों को पसमांदा मुसलमान के रूप में वर्णित किया गया है. मोदी ने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत कार्यान्वयन की नीति और अंतिम छोर तक पहुंचने का दृष्टिकोण एक-दूसरे के पूरक हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के लिए धन के साथ-साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों का विकास उनकी सरकार की प्राथमिकता रही है. वांछित लक्ष्यों के लिए सुशासन और निरंतर निगरानी के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम सुशासन पर जितना अधिक जोर देंगे, उतनी ही आसानी से अंतिम छोर तक पहुंचने का हमारा लक्ष्य पूरा होगा.’’
उन्होंने कहा कि पहली बार देश इस पैमाने पर अपने जनजातीय वर्ग की विशाल क्षमता का दोहन कर रहा है और नए केंद्रीय बजट में जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों के अंतिम छोर तक पहुंचने की जरूरत पर विशेष ध्यान दिया गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट के बाद का यह मंथन कार्यान्वयन और समयबद्ध वितरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे करदाताओं के पैसे का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है. उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय में सबसे वंचित लोगों के लिए एक विशेष मिशन के रूप में तेजी से सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से ‘‘समग्र राष्ट्र’’ के दृष्टिकोण की आवश्यकता है. इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम अंतिम छोर तक पहुंचने के मामले में एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है. केंद्रीय बजट 2023 में घोषित पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के वास्ते विचार और सुझाव मांगने के लिए सरकार द्वारा आयोजित 12 पोस्ट-बजट वेबिनार की श्रृंखला में सोमवार को यह चौथी कड़ी थी. सोर्स- भाषा