जयपुर : RGHS के लिए इलाज और दवा की प्रक्रिया में आसानी के लिए अब भजनलाल सरकार ने डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन को भरने की मानक प्रक्रिया तय कर दी है. आरजीएचएस प्रोजेक्ट निदेशक की ओर से जारी प्रक्रिया में प्रिस्क्रिप्शन में डॉक्टर को अब रोगी की दवा, रोगी के इतिहास के साथ जांच और अन्य अहम जानकारियों को बताना होगा.
डॉक्टर रोगी का सिर्फ तात्कालिक इलाज ही नहीं करता बल्कि केस हिस्ट्री के रूप में रोग की तमाम बारीकियों का विश्लेषण करके उस पर अंकुश लगाने और आगे पनपने की संभावना भी मिटाता है. इसके मद्देनजर अभी तक आरजीएचएस के तहत पंजीकृत रोगियों के प्रिस्क्रिप्शन में अक्सर सामान्य जानकारी होती थी,लेकिन अब इसकी मानक प्रक्रिया तय कर दी गई है.
क्या है मानक प्रक्रिया ?
डॉक्टर को दवाओं को स्पष्ट रूप से और बड़े अक्षरों में लिखना चाहिए. साथ ही उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवा का तर्कसंगत प्रिस्क्रिप्शन और उपयोग हो.
प्रिस्क्रिप्शन में उद्देश्य का संक्षिप्त अंकन शामिल होना चाहिए.
रोगी का इतिहास-
रोगी के चिकित्सा इतिहास का संक्षिप्त सारांश शामिल करना होगा.
इसमें मधुमेह,उच्च रक्तचाप,अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों का जिक्र होना चाहिए.
परामर्श के दौरान रोगी की ओर से बताई प्राथमिक शिकायतों को स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए.
परामर्श में सभी जांचों को नोट करने, लंबित जांच के परिणाम या अन्य आवश्यकताओं को बताने को कहा है.
भर्ती के समय अहम जानकारी
-भर्ती के समय अहम जानकारी रिकॉर्ड करनी होगी.
-तापमान,पल्स रेट,बीपी,श्वसन दर,ऑक्सीजन लेवल आदि की जानकारी देनी होगी.
डॉक्टर की जिम्मेदारी भी तय
- प्रिस्क्रिप्शन पर प्रिस्क्राइब करने वाले डॉक्टर की मुहर और हस्ताक्षर होने चाहिए.
- एचओडी की मुहर और हस्ताक्षर पर्चे पर या रिपोर्ट पर हो तो वह एचओडी किसी भी दुराचार या कदाचार के लिए होगा जिम्मेदार.
- एचओडी किसी जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर या अधीनस्थ कर्मचारी पर दोष नहीं डाल सकता.
- डॉक्टर अगर अस्पताल के पैड पर दवा लिख रहा है तो उसे हस्ताक्षर के नीचे अपने नाम,योग्यता और पंजीकरण संख्या की मुहर लगानी होगी.
- पर्चे पर स्पष्ट लिखा होना जरूरी,उसमें संक्षिप्तीकरण से बचने की दी सलाह.
- पर्चे पर ओवर राइटिंग से बचना होगा. ओवरराइटिंग हो तो डॉक्टर को हर सुधार पर हस्ताक्षर करने होंगे.
- डॉक्टर को खुराक की स्वरूप,उसकी पावर ,ली जानेवाली खुराक, चिकित्सा की अवधि जैसी बातों को लिखना होगा.
- जांच या दवा केवल संबंधित विभाग की ओर से ही निर्धारित होनी चाहिए.
-जिम्मेदार डॉक्टर को किसी भी त्रुटि या कुप्रबंधन के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा.
इस प्रिस्क्रिप्शन के जरिये डॉक्टर्स की जवाबदेही तय करने की कोशिश की गई है.