जयपुर: राज्य पशु ऊँट के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संवेदनशील राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश में "उष्ट्र संरक्षण योजना" संचालित की जा रही है. योजना के अंतर्गत ऊंट पालकों को सीधे ही उनके खाते में पांच-पांच हजार रुपए की राशि हस्तांतरित की रही है. योजना का उद्देश्य न केवल रेगिस्तान का जहाज ऊँट का संरक्षण करना है बल्कि ऊंट प्रजनन को प्रोत्साहित करना भी है.
योजना के अंतर्गत पशुपालन विभाग को अब तक 17000 से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हो चुके है. साथ ही योजना अंतर्गत चयनित ऊंट पालकों के खाते में सीधे ही राशि हस्तांतरित की जा रही है. वहीं लाभार्थियों के भौतिक सत्यापन के लिए विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर जाकर ऊँटनी एवं टोडियों के लगाए गए टैग एवं नंबरों की जांच कर ही योजना का लाभ देकर पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. आज प्रदेश ऊँट संरक्षण के क्षेत्र में सिरमौर बनकर सामने आ रहा है. योजना के लागू होने से ऊंट पालकों का आर्थिक संवर्धन होने के साथ राज्य पशु ऊँट के संरक्षण की दिशा में भी नए रास्ते खुलने लगे है. जोधपुर ज़िले के खाटावास निवासी ऊंटपालक जागाराम कहते है कि खाते में 5000 रूपए की प्रथम किश्त आने से आर्थिक सम्बल मिला है. अब ऊंटों की देखभाल करना आसान होगा, तथा टोडियों के जन्म पर आर्थिक भार नहीं बढ़ेगा और खुशियां घर में आएँगी.
राज्य पशु ऊँट का पर्यटन के क्षेत्र से लेकर परिवहन के क्षेत्र में अहम भूमिका:
पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. नवीन मिश्रा ने बताया कि राजस्थान उन्नत पशुधन संपदा से संपन्न प्रदेश है. राज्य पशु ऊँट का पर्यटन के क्षेत्र से लेकर परिवहन के क्षेत्र में अहम भूमिका है. परन्तु जब राज्य पशु ऊँट की संख्या में गिरावट आयी तो वह चिंताजनक था. जोधपुर के ही ऊंट पालक कर्माराम ने बताया कि उनके खाते में प्रोत्साहन राशि हस्तांतरित होने से अब ऊंटों के भोजन व अन्य व्यवस्था सुचारू रूप से कर पा रहे हैं. उष्ट्र प्रोत्साहन योजना के तहत चयनित ऊंट पालकों को विभागीय अधिकारियों द्वारा टोडियों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है.