VIDEO: ब्लड बैंक की "लापरवाही" ने ही दी महिला मरीज को समय से पहले मौत ! SMS में गलत ब्लड चढ़ाने के मई 2025 के प्रकरण की जांच में बड़ा खुलासा

जयपुर : प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में पांच माह पहले गलत ब्लड चढ़ाने से हुई महिला की मौत के मामले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. प्रकरण को लेकर गठित हाईलेवल कमेटी ने जांच में घटना के पीछे ब्लड बैंक प्रबन्धक को सीधे जिम्मेदार माना है. साथ ही कहा है कि काफी गंभीर हालत होने के बावजूद वार्ड से लेकर ब्लड बैंक में निर्धारित प्रॉटोकॉल का पालन ही नहीं किया गया. नतीजन महिला मरीज समय से पहले मौत की ग्रास बनी. आखिर क्या है पूरा मामला और रिपोर्ट में सामने आई प्रशासन की लापरवाही की बानगी.

ये है प्रदेश का सबसे बड़ा एसएमएस अस्पताल कई तरह के कीर्तिमान स्थापित करने वाले इस अस्पताल की अब प्रशासनिक लापरवाही के चलते साख लगातार गिरती नजर आ रही है. ताजा मामला मई 2025 में गलत ब्लड चढ़ने से हुई 23 वर्षीय चैना देवी की मौत से जुड़ा है, जिसकी जांच रिपोर्ट ने पूरे अस्पताल प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए है. चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को सौंपी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ब्लड बैंक के स्तर पर "स्टेण्डर्ड प्रोटोकॉल" फोलो नहीं नहीं किया गया. जिम्मेदारों ने न तो रिवर्स मैथर्ड से ब्लड ग्रुप की जांच की और न ही फार्म में जिक्र करना मुनासिब समझा. सिर्फ फॉरवर्ड मेथड के आधार पर ही महिला के ब्लड ग्रुप को "ए" पॉजिटिव माना गया. जांच में ये भी पाया गया कि सैम्पल वाइल चेंज होने से महिला को "बी" पॉजिटिव के बजाय "ए" पॉजिटिव ब्लड चढ़ा. हालांकि,रिपोर्ट के मुताबिक महिला मरीज को काफी गंभीर हालत में SMS लाया गया था. टीबी,एनिमिया से जूझ रही पांच माह की गर्भवती महिला का गर्भस्थ शिशु पेट में ही दम तोड़ चुका था. लेकिन फिर भी ब्लड बैंक के स्तर पर हुई लापरवाही को भी "मौत" के लिए जिम्मेदार माना गया है.

पूरे घटनाक्रम पर एक नजर
-टोंक के निवाई की रहने वाली 23 साल की महिला को 12 मई 2025 को एसएमएस की इमरजेंसी से भर्ती करवाया गया था.
-तब महिला को बुखार, सांस लेने में दिक्कत और चेस्ट इन्फेक्शन की शिकायत थी, जांच में टीबी की भी पुष्टि हुई
-डॉक्टरों के मुताबिक यूनिट-7 में भर्ती महिला को शुरू से ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा था.
-ज्यादा हालत बिगड़ने पर महिला को बायपेप (सांस लेने का सिस्टम) पर रखा गया.
-बायपेप पर भी स्थिति में सुधार नहीं आया तो महिला को 15 मई को वेंटिलेटर पर लिया गया.
-इस दौरान गर्भवती के पेट में ही बच्चे की मौत हो गई, जिस पर डॉक्टर्स ने दवाई देकर मृत बच्चे को बाहर निकाला
-इसी दौरान हिमोग्लोबिन कम होने पर महिला को ब्लड चढ़ाया गया था.
-लेकिन तभी अचानक महिला की तबीयत बिगड़ी, तो पता चला कि उसे गलत ब्लड चढ़ा दिया गया है
-डॉक्टरों के मुताबिक जैसे ही महिला को ब्लड चढ़ाया. एक से दो मिनट बाद ही महिला का शरीर कांपने लगा.
-ऐसे में आनन फानन में ब्लड की सप्लाई रोक दी. वापस ब्लड सैंपल लेकर भेजा.
-अब जब जांच रिपोर्ट आई तो उसमें महिला का ब्लड ग्रुप B+ बताया.
-इसके बाद महिला की 21 मई की रात को मौत हो गई,

चिकित्सा मंत्री संवेदनशील, तत्काल गठित की जांच कमेटी
-पूरे घटनाक्रम को लेकर फर्स्ट इंडिया ने 24 मई को खबर चलाई
-जिसमें खुलासा किया गया कि किस तरह प्रशासन ने पहले गलत ब्लड चढ़ाया और
-फिर महिला मरीज की मौत होने के बाद मामले को दबाने का हर संभव प्रयास किया
-ऐसे में आनन फानन में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने जांच कमेटी का गठन किया
-चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक मुकेश मीणा की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी
-कमेटी में सवाई मानसिंह अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. नरपत सिंह शेखावत,
-पूर्व विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. सुधीर मेहता, वर्तमान अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी एवं
-राजमेस की उप निदेशक डॉ. वंदना शर्मा को किया गया शामिल, जिन्होंने अब दी रिपोर्ट

एसएमएस अस्पताल का ब्लड "ब्लंडर" !
-SMS में गलत ब्लड चढ़ाने के मई 2025 के प्रकरण की जांच रिपोर्ट में खुलासा
-जिन्दगी-मौत से जूझती महिला को चढ़ाया पुरूष मरीज के ब्लड सैम्पल जांच के आधार पर ब्लड
-दरअसल, मृतक महिला  23 वर्षीय चैना देवी का 18 और 21 मई 2025 को निकाले गए सैम्पल
-इस दौरान 18 मई का सैम्पल ब्लड बैंक की लापरवाही के चलते कुछ इस तरह हुआ वाकया
-कि देखते ही देखते किसी पुरूष मरीज के सैम्पल से हो गया महिला का ब्लड सैम्पल चेंज
-इसी गफलत के चलते "बी" पॉजिटिव के बजाय महिला को चढ़ा दिया गया "ए" पॉजिटिव ब्लड
-खुद एफएसएल की जांच में हुई पहले ब्लड सैम्पल के किसी पुरूष मरीज के होने की पुष्टि
-जांच रिपोर्ट आने के बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग के स्तर पर तय की जा रही जिम्मेदारी
-वार्ड से लेकर ब्लड बैंक में जिन-जिन लोगों की रही लापरवाही,उन पर कार्रवाई की चल रही तैयारी

गलत ब्लड चढ़ाने का ये पहला मामला नहीं है. पिछले एक साल की बात की जाए तो एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ये तीसरी घटना है. इससे पहले 22 फरवरी 2024 को भी बांदीकुई निवासी सचिन (25) को सवाई मानसिंह अस्पताल में ‘ओ’ पॉजिटिव की जगह ‘एबी’ पॉजिटिव ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया गया था. नतीजा ये हुआ कि सचिन की मौत हो गई थी. मामले में मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर एसके गोयल और सर्विस रेजिडेंट डॉक्टर दौलत राम व रिषभ चलाना एपीओ कर दिए गए थे. नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा को सस्पेंड कर दिया था. इसी तरह का एक अन्य मामला 5 दिसंबर 2024 को एसएमएस में सामने आया, जहां भरतपुर के रहने वाले 10 साल के मुस्तफा को ‘ओ’ पॉजिटिव ब्लड की जगह 'एबी' पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया गया था. इस तरह के मामलों को देखते हुए चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने अब सख्त रवैया अपनाया है. ताजा मामले की रिपोर्ट मिलने के साथ ही उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए है कि जो भी जिम्मेदार है, उन सभी को निलम्बित किया जाए, साथ ही चार्जशीट भी जारी की जाए.