कन्नूर (केरल): केरल में आवारा कुत्तों के हमलों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. मुझाप्पिलंगद में कुत्तों के हमले में बुरी तरह घायल हुए 11 वर्षीय एक दिव्यांग किशोर की मौत हो गई है. केरल सरकार ने कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर करीब आठ महीने पहले ही आवारा तथा पालतू कुत्तों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया था.
राज्य सरकार ने 2022 में अगस्त के अंत तक कुत्ते के काटने से 19 लोगों की मौत के मद्देनजर पिछले साल सितंबर में टीकाकरण अभियान शुरू करने की घोषणा की थी और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्रों के लिए स्थान खोजना शुरू किया था. हालांकि, निहाल की मौत ने एक बार फिर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लड़का अपने घर से करीब सौ मीटर दूर झाड़ियों में गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिला था. लड़का जहां मिला था वहीं पास में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि निहाल वहां स्थित पार्क में अकसर झूला झूलने आया करता था. उन्होंने कहा कि हमने कल कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनी थी. हमने बच्चे की कोई आवाज नहीं सुनी. बाद में जब वे लोग बच्चे की तलाश कर रहे थे तब हमने वहां जाकर देखा जहां से कुत्तों की आवाज आ रही थी और हमें वहीं वह बच्चा मिला.’’
एक अन्य स्थानीय निवासी ने बताया कि पिछले कुछ समय से इलाके में आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं और इसकी शिकायत जिला प्रशासन से भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. कुछ स्थानीय निवासियों ने बताया कि एबीसी केंद्र सक्रिय नहीं हैं. इस घटना के बाद कई चैनल पर दिखाई गई फुटेज में कुत्तों को पकड़ने वाले कुछ कर्मी आवारा कुत्तों को जाल में पकड़कर दूर ले जाते हुए दिखाई दिए. स्थानीय स्वशासन राज्य मंत्री एम. बी. राजेश ने घटना पर कहा कि एबीसी केंद्रों को स्थापित करने तथा चलाने के लिए धन की कोई कमी नहीं है और एकमात्र बाधा केवल कुछ वर्गों का विरोध है. इस बीच, कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने राज्य सरकार पर आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए विधानसभा में दिए गए आश्वासनों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. सोर्स- भाषा