VIDEO: मौसमी बीमारियों की "मौत" के आंकड़े बने मजाक ! सवालों के घेरे में चिकित्सा विभाग के मुख्यालय की मॉनिटरिंग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए भले ही लाख दावे किए जा रहे हो, लेकिन सच्चाई ये है कि प्रदेश का चिकित्सा विभाग मरीजों की बढ़ती "मौतों" के आंकड़ों से लगातार बेखबर बना हुआ है.फिर चाहे स्क्रब टायफस हो या डेंगू, चिकित्सा विभाग के मुताबिक राजस्थान में एक भी मरीज की इन बीमारियों से मौत नहीं हुई है.जबकि फील्ड की सच्चाई मौत के भयावह आंकड़े बता रही है.बरसात के सीजन के बाद प्रदेश की जनता मौसमी बीमारियों की जद में है.एकाएक बढ़े मामलों को देखते हुए चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर और प्रमुख चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड लगातार जिलेवार समीक्षा कर रहे है, लेकिन मुख्यालय में बैठे विभाग के अधिकारी बीमारियों के आंकड़ों को लेकर जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रहे है.

आश्चर्य की बात ये है कि सूबे के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में इस साल स्क्रब टायफस से 11 मौतें हो चुकी है.जबकि अब डेंगू भी मौतरूपी तस्वीर दिखा रहा है.प्रदेश में पिछले तीन दिनों की बात की जाए तो एक सरकारी चिकित्सक समेत तीन मरीज डेंगू के डंक से दम तोड़ चुके है.बावजूद इसके मुख्यालय में बैठे अफसर अभी भी स्क्रब टायफस और डेंगू से एक भी मौत नहीं मान रहे है.उनका कहना है कि जिलों से एक तय फोर्मेट में डेथ ऑडिट के साथ रिपोर्ट आएगी तभी सरकारी आंकड़े में उसे दर्ज किया. जाएगा.

प्रदेश में बेकाबू होता डेंगू, मुख्यालय मॉनिटरिंग में ही "फिसड्डी" ?:
-मौसमी बीमारियों के आंकड़ों की सरकारी खानापूर्ति से जुड़ी खबर
-पिछले तीन दिन में राजस्थान में डेंगू ले चुका तीन मरीजों की जान
-दो दिन पहले दौसा में एक महिला डॉक्टर की डेंगू के चलते हुई मौत
-जबकि कोटा में एएनएम की ट्रेनिंग ले रही स्टूडेंट भी गंवा चुकी जान
-इसके अलावा पाली में भी एक मरीज की डेंगू से मौत की आ रही खबर
-इस सूचनाओं के बावजूद चिकित्सा विभाग के अफसर बने हुए अंजान
-विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में डेंगू के अब तक 4227 पॉजिटिव
-उदयपुर में सर्वाधिक 550 व जयपुर में 396 मरीज किए है विभाग ने चिन्हित
-लेकिन किसी भी जिले में अब तक डेंगू से मौत नहीं की गई है रजिस्टर्ड
-इस पूरे मामले में निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ आर पी माथुर ने दी जानकारी
-केन्द्र ने बीमारियों से मौतों का एक फार्मेट तय किया है,जिसे हम फोलो करते है
-किसी भी मरीज की मौत होने पर जिले से डेथ ऑडिट के साथ पूरी समरी मिलती है
-इसके बाद मुख्यालय पर इन दस्तावेजों की जांच के बाद मौत का रिकॉर्ड किया जाता है
-हम सभी जिलों को कई बार पत्र लिख चुके है कि वो पूरी प्रक्रिया के साथ रिकॉर्ड को भेजे

हालांकि, जब इस गंभीर मुद्दे पर प्रमुख चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड से बात की गई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मौसमी बीमारियों के प्रति विभाग अत्यंत गंभीर है.जिन जिलों में केस बढ़े है, वहां मुख्यालय से अधिकारी भेजकर रिपोर्ट ली जा रही है....सभी स्वास्थ्य कार्मिकों के अवकाश रद्द किए गए है.राठौड ने कहा कि बीमारियों से हो रही मौतों के मामलों को चैक कराएंगे,
रियलिटी को एक्सेप्ट करेंगे तभी तो हम एड्रेस कर पाएंगे.दौसा में डॉक्टर की मौत पर राठौड ने कहा कि रिपोर्ट देखकर ही कुछ कहना उचित होगा.

राजस्थान में जानलेवा होती सीजनल डिजीज:
-बरसात के बाद स्क्रब टायफस और डेंगू का एकाएक कहर
-अकेले एसएमएस में स्क्रब टायफस से 11 मरीजों की हो चुकी मौत
-मई माह में एक,अगस्त में दो और सितम्बर माह में आठ मरीजों ने तोड़ा दम
-इस दौरान कुल 535 पॉजिटिव मरीज स्क्रब टायफस के किए जा चुके चिन्हित
-जबकि पिछले तीन दिनों अलग अलग जिलों में डेंगू से तीन मरीजों की मौत
-डेंगू पॉजिटिव मरीजों का सरकारी आंकड़ा भले ही ही पहुंचा 4200 के पार
-लेकिन फील्ड रिपोर्ट के मुताबिक 5000 से भी ऊपर पहुंच चुका है ये आंकड़ा
-आश्चर्य ये कि इन सबके बावजूद विभाग दोनों ही बीमारियों की मौतें बता रहा शुन्य
-इस पूरे मामले में प्रमुख चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड से पूछा गया सवाल
-तो उन्होंने कहा-बीमारियों से हो रही मौतों के मामलों को चैक कराएंगे,
-रियलिटी को एक्सेप्ट करेंगे तो तभी हम एड्रेस कर पाएंगे
-दौसा में डॉक्टर की मौत पर बोलीं राठौड-रिपोर्ट देखकर ही कुछ कहेंगे
-निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ आर पी माथुर ने कहा-हर अस्पताल में डेथ ऑडिट कमेटी होती है,
-कमेटी रिकॉर्ड को एग्जामिन करने के बाद मरीज के डेटा को रिपोर्ट में शामिल करती हैं
-स्क्रब की "मौतों" की रिपोर्ट आ चुकी है,प्रोटोकॉल पूरा करके उसे रिपोर्ट में करेंगे शामिल