रिपोर्टर- दिनेश डांगी
जयपुरः राजस्थान के पड़ौसी राज्य हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत परवान पर है. जिसका सीधा असर राजस्थान में भी देखा जा रहा है. क्योंकि दोनों राज्यों में रोटी और बेटी का रिश्ता है. लिहाजा बॉर्डर के जिलों के नेता और लोग भी हरियाणा में चुनावी प्रचार में जुट गए है. राजस्थान के पांच जिले और हरियाणा की 15 विधानसभा सीटे एक-दूसरे की सीमाओं से लगते है.
राजस्थान के पड़ोस में हरियाणा में चुनावी बिगुल बज चुका है. प्रत्याशियों के नामांकन का दौर समाप्त होने के बाद अब चुनाव प्रचार रफ्तार पकड़ने लगा है. सभी दलों के प्रत्याशियों ने चुनावी जंग जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है. एक-एक वोट को साधने के लिए प्रत्याशियों ने दिन-रात एक कर दिया है. लिहाजा राजस्थान से प्रभावित वोटों पर भी प्रत्याशियों की पैनी नजरें है. .क्योंकि राजस्थान और हरियाणा में बेटी औऱ रोटी का ऱिश्ता है. दोनों राज्यों के लोगों की आपस में कईं रिश्तेदारियां है. इसके अलावा रोजगार,व्यापार औऱ धार्मिक कनेक्शन भी है. ऐसे में जाहिर सी बात है राजस्थान के कईं लोगों का वहां सियासत में भी सीधा दखल है. लिहाजा बॉर्डर पर बसे लोगों की डिमांड चुनाव में बढ गई है. आपको बता दे कि.
राजस्थान के 5 जिलों की बॉर्डर लगती है हरियाणा से
हनुमानगढ़,चूरु,झुंझुनू, अलवर औऱ भरतपुर जिले है हरियाणा बॉर्डर पर
हरियाणा की 15 विधानसभा सीट लगती है राजस्थान की बॉर्डर से
ऐलनाबाद,डबवाली,रानिया, फतेहाबाद और आदमपुर सीट लगती है हनुमानगढ़ की सीमा से
चूरु जिले के लगती है लोहारू, तोशाम और बाढड़ा सीट
झुंझुनू जिले की सीमा से सटी है महेंद्रगढ़,नांगल चौधरी और लोहारू सीट
अलवर से लगती है बावल,रेवाड़ी,नारनौल,अटेली,महेन्द्रगढ़, औऱ नांगल चौधरी सीट
भरतपुर जिले के पास लगती है नूंह विधानसभा सीट
अलवर जिले से सबसे ज्यादा हरियाणा की विधानसभा सीटें अटैच है. .हरियाणा का यह इलाका अहीरवाल बेल्ट कहलाता है. मतलब यहां यादव वोटों काफी तादाद में है और उनके वोटों की बदौलत ही भाजपा का लगातार दो चुनाव में दबदबा कायम रहा. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस ने अलवर के यादव नेताओं को हरियाणा में चुनाव प्रचार की कमान दे दी है. खास बात है कि हरियाणा की हॉट सीट तोशाम जहां से बंसीलाल के पोते और पोती आमने सामने है. ऐलनाबाद से इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला मैदान में है तो रेवाड़ी से लालू यादव के दामाद औऱ विधायक चिरंजीव राव फिर से मैदान में है. यह सब सीटें राजस्थान की सीमा से सटी हुई है.
इन पांच जिलों के लोग अब 3 अक्टूबर तक मतलब प्रचार समाप्त होने तक वहीं डेरा डाले रहेंगे. .वहीं कुछ गांव तो इतने करीब है कि इधर औऱ उधर के लोग सुबह जाकर और प्रचार करके रात को वापस भी आ जाते है. अब भला पड़ौस में चुनाव हो और पड़ौसी लोगों की पंचायती में भूमिका नहीं हो यह भला कैसे संभव हो सकता है. लिहाजा सरहद के पार चुनाव में राजस्थानी खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं.