जयपुर: आचार संहिता के बाद से ही ब्यूरोक्रेसी का काम लगभग बंद हो गया. अब बेहद महत्वपूर्ण काम और मसलों को लेकर ही बैठकों और फाइल्स का दौर जारी है. यहां तक कि बैठकें अब कमोबेश सीएस के कक्ष तक सिमटकर रह गईं हैं.
9 अक्टूबर को आचार संहिता क्या लगी ब्यूरोक्रेसी के हाथ बंध से गए हैं. टेंडर से लेकर ऑर्डर और ट्रांसफर पोस्टिंग के साथ रूटीन के काम को लेकर भी ब्यूरोक्रेसी आगे नहीं बढ़ पा रही है. यही कारण है कि सचिवालय में अधिकारियों के कक्ष से लेकर समिति कक्षों और कॉन्फ्रेंस हॉल तक अब लगभग सन्नाटा है. और सारी हलचल चाय की चुस्कियों के साथ थडियों और कैंटीन की गॉसिप तक सिमट गई है.
सचिवालय के समिति कक्षों और कॉन्फ्रेंस हॉल में पसरा सन्नाटा.
मीटिंग हॉल के बाहर के गलियारे पड़े सूने.
ऑफिसर्स क्लबों से लेकर कैंटीन, चाय की थडियों और कैफे की पॉलिटिकल गॉसिप में सिमटी तमाम हलचल.
ब्यूरोक्रेट्स आ रहे हैं ऑफिस लेकिन कर रहे हैं बस चाय पर चर्चा.
अब गपशप में बीत रहा है ज्यादातर समय.
हालांकि गृह, चिकित्सा जैसे महकमों में कानून व्यवस्था और दवा, चिकित्सा सुविधाओं को लेकर हो रहा काम
लेकिन महकमों में इन दिनों यथास्थिति.
जो जैसा है वैसे ही रहने देने पर दिया जा रहा जोर.
यहां तक कि कैबिनेट के करीब 21 निर्णय भी आदेश नहीं निकलने के चलते रहे अधूरे.
वैसे कुछ वर्ग यह भी शिकायत कर रहे हैं कि आचार संहिता से कुछ दिन पहले से ही ब्यूरोक्रेसी साइलेंट मोड पर आ गई थी.