कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को जानना चाहा कि एक अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में मां-बेटी की मौत की जांच के लिए कोई केंद्रीय टीम क्यों नहीं भेजी गई? कथित तौर पर 13 फरवरी को कानपुर देहात जिले में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान आत्मदाह के कारण दोनों की मौत हो गई थी.
बनर्जी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में अभियान ‘गरीब’ लोगों को बेदखल करने के लिए चलाया जा रहा है. उन्होंने बांकुडा में एक कार्यक्रम में पूछा, “लेकिन ऐसे मामलों में कोई जांच नहीं की जाती है, वहां कोई केंद्रीय टीम क्यों नहीं भेजी गई? उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गरीबों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें जमीन का अधिकार देती है. बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विभिन्न मुद्दों पर केंद्रीय टीमों को पश्चिम बंगाल भेजे जाने के बारे में मुखर रही है. हाल में मध्याह्न भोजन वितरण और राज्य में मनरेगा कार्यान्वयन में अनियमितताओं को लेकर भी केंद्रीय दल यहां जांच के लिये पहुंचा था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कानपुर देहात में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मां-बेटी की मौत की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए. उनकी पार्टी के शासन में राज्य को अति-वामपंथी आतंक से मुक्त किये जाने का दावा करते हुए बनर्जी ने कहा कि पहले माओवादियों की लूट के कारण, बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर, झारग्राम और पुरुलिया जिलों में फैले प्रभावित जंगलमहल क्षेत्र में लोग अपने घरों से बाहर नहीं जा सकते थे. उन्होंने कहा, “शुक्र है, पिछले 11 वर्षों में कोई माओवादी हमला या घात लगाकर हमला नहीं हुआ है और किसी को भी इस तरह के डर से घर के अंदर नहीं रहना पड़ा है. सोर्स- भाषा