राजस्थान में 4 साल बाद हो रही वन्यजीवों की गणना, 23 और 24 मई को वाटर होल पद्धति से होगा संख्या आकलन

जयपुरः प्रदेश में 4 वर्ष बाद वन्यजीवों की गणना का काम शुरू होगा. वैशाख पूर्णिमा पर 23 मई को सुबह 8:00 बजे वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना शुरू होगी जो की 24 मई सुबह 8:00 बजे तक चलेगी. इसके लिए आज मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय ने आदेश जारी कर दिए. गणना सटीक हो और निर्बाध तरीके से इसे संपन्न किया जा सके इसके लिए पूरी गाइडलाइन जारी कर दी गई है. फर्स्ट इंडियन न्यूज ने 28 अप्रैल को ही वन्य जीव गणना को लेकर खबर प्रसारित की थी. माना जा रहा है इस बार प्रदेश में वन्यजीवों की गणना में आंकड़ा 3 लाख के पार जा सकता है. पेश है एक रिपोर्ट:

वैशाख पूर्णिमा पर होगा वन्यजीव संख्या आकलन 
23 और 24 मई को वाटर होल पद्धति से की जाएगी गणना
23 मई सुबह 8 बजे से 24 मई सुबह 8 बजे तक 24 घंटे होगी गणना
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय के स्तर पर जारी होगा आदेश
बाघ-बघेरे व अन्य वन्यजीवों की संख्या का किया जाएगा आकलन
पिछले वर्ष बे मौसम बरसात के चलते नहीं हो पाई थी वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना
ऐसे में इस बार वन्यजीवों की गणना को माना जा रहा है महत्वपूर्ण
वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना से ही मिल पाएंगे वन्यजीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े
वन्य जीव गणना के आदेश जारी होने के बाद शुरू होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम

प्रदेश में वन्य जीव गणना अगले महीने प्रस्तावित है. परंपरागत रूप से वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना वैशाख पूर्णिमा यानी 23 मई को सुबह 8:00 से 24 मई को सुबह 8:00 बजे तक की जाएगी. 4 जून तक वन्यजीव गणना के आंकड़े संकलित कर अरण्य भवन भेजे जाएंगे. प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय ने आज वन्य जीव गणना के आदेश जारी किए. प्रदेश के तीनो टाइगर रिजर्व इसके अलावा झालाना और आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व सहित प्रदेश के तमाम वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षित वन क्षेत्र में वन्यजीवों की गणना की जाएगी. वाटर होल पद्यति से वन्यजीव संख्या आंकलन जिला स्तर पर करवाया जाता है, जिसके लिए प्रदेश के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन पवन कुमार उपाध्याय खुद मॉनिटरिंग करेंगे. वन्यजीव संख्या आंकलन वर्ष 2024 के लिए बीट को इकाई मान कर बीट वाइज़ आंकलन किया जाएगा. इस बार भी कई स्थानों पर कैमेरा ट्रैप पद्दति से तो कई स्थानों पर वोलेंटियर की मदद से गणना की जाएगी. वन्यजीवों की संख्या का सटीक आंकलन करना चूंकि बहुत जटिल प्रक्रिया है इसलिए इसका पद्द्ति का नाम वन्यजीव गणना के बजाए वन्यजीव आंकलन या वाइल्डलाइफ सेंसस की जगह वाइल्डलाइफ एस्टिमेशन दिया गया है. वन्यजीव की प्रजाति एवं लिंग का सही निर्धारण हो सके इसके लिए मोबाईल अथवा कैमरे से फ़ोटो खींच कर विशेषज्ञ से पहचान करवाना सुनश्चित करना होगा. इससे पूर्व स्टाफ एवं वोलेंटियर को वन्यजीव आंकलन हेतु प्रॉपर ट्रेंनिंग भी दी जाएगी. वन्य जीव गणना से पूर्व 2 दिन तक वन्य जीव आकलन का अभ्यास किया जाएगा. वन्यजीवों में  मुख्यतः बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरु बिल्ली, भारतीय लोमड़ी, रेगिस्तानी लोमड़ी, भेड़िया, भालू, सियागोश, चिंकारा, सांभर, चौसिंघा, कृष्ण मृग, जंगली सुअर, सेही, उड़न गिलहरी, गोंडावन, सारस, गिद्ध की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां, उल्लू की प्रदेश में पाई जाने वाली सभी प्रजातियां शामिल हैं. उम्मीद है कि वन्यजीव गणना के परिणाम इस बार उत्साहजनक और सुखद होंगे. वन जीव गणना में मांसाहारी, शाकाहारी और रेप्टाइल्स तीन श्रेणियां में गणना की जाएगी.

निर्मल तिवारी फर्स्ट इंडिया न्यूज़, जयपुर