VIDEO: नई सरकार के साथ MISA, DIR बंदियों को मिलेगी खुशखबरी, पेंशन और अन्य संबंधी सुविधाएं जल्द हो जाएंगी शुरू, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : मीसा व डीआईआर बंदियों के साथ साथ आपातकाल के सीआरपीसी बंदियों को भी पेंशन और अन्य संबंधी सुविधाएं जल्द शुरू हो जाएंगी. पिछली गहलोत सरकार ने शासन में आते ही यह सुविधाएं बंद कर दी थी और अब भजनलाल सरकार जल्द ही इसे लेकर प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. 

लोकतंत्र सेनानियों को पहली भजनलाल कैबिनेट बैठक होने के साथ रुकी हुई लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि शुरू होने की उम्मीद है. इस बारे में सांसद राजेंद्र गहलोत ने सीएम भजनलाल शर्मा को ज्ञापन भी दिया है.

5 जुलाई 2018 में GAD ने संशोधित अधिसूचना जारी की थी.

इसके तहत मीसा और डीआईआर बंदियों के साथ आपातकाल में सीआरपीसी की  107,116,151 धाराओं में जेल में बंद या निरुद्ध रहे. उन्हें भी नियम के तहत देय सुविधाओं का लाभ देने का प्रावधान किया था. 

इसके लिए उन्हें 107,116,151 धारा के तहत कम से कम 1 माह तक निरुद्ध रहने संबंधी कोर्ट आदेश की प्रति देने का प्रावधान किया था.

-आवेदक को निरुद्ध करने का इस्तगासा और बंदी रहने का जेल या थाने का प्रमाण पत्र पेश करने का किया था प्रावधान. 

-इसका प्रमाणीकरण पूर्व या मौजूदा लोकसभा या विधानसभा सदस्य से कराने का था प्रावधान.

-गलत शपथ पत्र पाए जाने पर पेंशन निरस्त करके भुगतान की सारी राशि वसूलने का था प्रावधान.

-मीसा डीआईआर और आपातकाल में सीआऱपीसी की 3 धाराओं के बंदियों को यह प्रमाण पत्र देने का प्रावधान किया था कि वह अन्य राज्यों की ऐसी ही योजना में पेंशन और चिकित्सा सहायता का लाभ नहीं ले रहा हो.

इन नियमों के तहत प्राप्त दावों के परीक्षण के लिए  समिति बनाई थी

-जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति दावों का परीक्षण करना था.

-समाज कल्याण अधिकारी और अधीक्षक समिति का सदस्य बनाया था. 

-समिति को यह भी सुनिश्चित करना था कि आवेदक मूलतः आपराधिक चरित्र के नहीं थे और वे आपातकाल के विरोध करने पर सीआरपीसी की धाराओं या मीसा या डीआईआर कानून के तहत बंदी हुए थे. 

-इन नियमों के अधीन मीसा,डीआईआर और सीआरपीसी बंदियों को पेंशन स्वीकृत करके परिचय पत्र देने का प्रावधान किया था जिसमें इन्हें देय सुविधाओं का अंकन होगा. 

-साथ ही 26 जनवरी और 15 अगस्त के जिलास्तरीय समारोह में इन्हें ससम्मान आमंत्रित करना भी तय किया था.

इन नियमों के तहत आवेदन कलेक्टर कार्यालय को प्रस्तुत करने,दस्तावेजों की पुष्टि के बाद मामले को जिला स्तर की समिति के सामने रखने का प्रावधान था.