नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के पास निर्णय लेने के अधिकाधिक अधिकार होने की आवश्यकता जताई और उनसे ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाने की सोमवार को अपील की. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी समाज के समग्र विकास में महिलाओं की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है.
मुर्मू ने कहा कि महिलाओं के पास अपने और अपने परिवार तथा समाज की भलाई के लिए अधिक से अधिक निर्णय लेने के अधिकार होने चाहिए. मैं बहनों और बेटियों से अपील करूंगी कि वे ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदारी करें. उन्होंने कहा कि प्रत्येक पांच वर्ष में पंचायतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का प्रावधान है, ताकि समाज के हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सके, हालांकि यह देखा गया है कि इन चुनावों में लोगों के बीच कटुता उत्पन्न हो जाती है. मुर्मू ने कहा कि मेरा मानना है कि गांव, परिवार का ही विस्तृत रूप है. परिवार में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. सारे सामुदायिक कार्य यथासंभव आम सहमति से होने चाहिएं. अगर चुनाव की नौबत भी आये तब भी ये चुनाव ग्रामवासियों में विभाजन न ला सके.
उन्होंने कहा कि पंचायतें केवल सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वय का स्थान ही नहीं हैं, बल्कि वे नये-नये नेतृत्वकर्ताओं, योजनाकारों, नीति-निर्माताओं और नवाचार करने वालों के अभ्युत्थान का उद्गमस्थल भी हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि एक पंचायत की अच्छी पहल को अन्य पंचायतों में अपनाकर हम गांवों को तेजी से विकसित और समृद्ध बना सकेंगे. मुर्मू ने कहा, ‘‘देश की आत्मा गांवों में बसती है. गांव वह आधारभूत इकाई है, जिसके विकसित होने से पूरा देश विकसित बन सकता है. इसलिए हमारे गांवों को विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. सोर्स- भाषा