VIDEO: 9 महीने स्वयंभू निदेशक ! गोपालन विभाग में सामने आया हैरतअंगेज मामला, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राज्य सरकार के एक विभाग में अजब-गजब मामला सामने आया है. गोपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक 9 महीने तक वहां बगैर राज्य सरकार के आदेश के ही निदेशक बने रहे. इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियां भी जारी कर दी. 9 महीने बाद कार्मिक विभाग ने उन्हें निदेशक बनाए जाने को कहा तो पोस्ट फैक्टो स्वीकृति आदेश जारी किए गए. कैसे हुई यह पूरी गड़बड़ी और कौन अधिकारी हैं दोषी. 

कहावत है 'अंधेर नगरी-चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा' यानी ऐसा राज्य या विभाग, जहां बगैर किसी नियम-अनुशासन के अंधेरगर्दी चल रही हो. मौजूदा हालात में सरकारी विभागों में तो ऐसा होना मुमकिन नहीं. लेकिन यह सुनकर आप चौंक जाएंगे कि राजस्थान सरकार के ही गोपालन विभाग में यह हुआ है. गोपालन विभाग में वहां के अतिरिक्त निदेशक 9 महीने तक बगैर किसी सरकारी आज्ञा के निदेशक बने रहे. न केवल निदेशक की कुर्सी पर बैठे रहे, बल्कि अधिकार नहीं होते हुए भी प्रशासनिक और करोड़ों रुपए की वित्तीय स्वीकृतियां जारी कर दी. यह कारनामा किया है गोपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. लाल सिंह ने. डॉ. लाल सिंह गोपालन विभाग के गठन के बाद से ही यहां पर कार्यरत थे. गोपालन निदेशक आरएएस खजान सिंह के तबादले के बाद जब पद रिक्त हुआ तो वे बगैर कार्मिक विभाग द्वारा कोई आदेश निकाले ही गोपालन निदेशक के पद पर कार्य करने लगे. 

कैसे बने स्वयंभू निदेशक ?
- 27 जुलाई 2021 को कार्मिक विभाग ने आदेश संख्या 4/2021 से तबादला सूची जारी की
- इस आरएएस तबादला सूची में गोपालन निदेशक खजान सिंह का तबादला हुआ
- लेकिन कार्मिक विभाग ने इसमें गोपालन निदेशक पद पर किसी को नहीं लगाया
- खजान सिंह ने 28 जुलाई को अतिरिक्त निदेशक डॉ. लाल सिंह को कार्यभार सौंपा और रिलीव हुए
- इसके बाद डॉ. लाल सिंह ने 12 अगस्त 2021 को आदेश संख्या 3156 जारी किया 
- इसमें कहा कि शासन की आज्ञा क्रमांक 4/2021 की पालना में उन्होंने निदेशक का पदभार संभाला
- जबकि इस आदेश में डॉ. लाल सिंह को निदेशक लगाने का कहीं भी नहीं था जिक्र
- आगे लिखा कि भविष्य में निदेशक के नाम से संबोधित सभी प्रकार के अर्धशासकीय पत्र...
- ...गोपनीय पत्र, महत्वपूर्ण पत्र उनको नामजद प्रेषित किए जाएं
- इस तरह 12 अगस्त 2021 को डॉ. लाल सिंह खुद ही निदेशक बन बैठे 

विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि डॉ. लाल सिंह बगैर कार्मिक विभाग की आज्ञा जारी हुए ही निदेशक के पद पर कार्य करते रहे. हालांकि उन्हें डर था कि भविष्य में यदि कोई जांच हुई तो वे फंस सकते हैं, इसलिए उन्होंने अपने लिए निदेशक पद के आदेश जारी करने का जुगाड़ करना शुरू किया. अप्रैल 2022 में यानी करीब 9 महीने बाद उन्होंने तत्कालीन गोपालन सचिव आईएएस पीसी किशन से अपने पक्ष में निदेशक पद के पोस्ट फैक्टो आदेश जारी करवा लिए. इस आदेश की भाषा भी अपने आप में रोचक है. 

निदेशक पहले ही बन गए, आदेश 9 महीने बाद !
- 22 अप्रैल 2022 को गोपालन सचिव पीसी किशन ने आदेश जारी किया
- लिखा, अतिरिक्त निदेशक डॉ. लाल सिंह 28 जुलाई 2021 से संभाल रहे निदेशक का पद
- अत: डॉ. लाल सिंह को 28 जुलाई 2021 से निदेशक पद के कार्य संपादन की...
- ...कार्योत्तर स्वीकृति एतद् द्वारा प्रदान की जाती है
- डॉ. सिंह निदेशक पद पर तब तक कार्य संपादन करते रहेंगे
- जब तक कि कार्मिक विभाग किसी अधिकारी का पदस्थापन यहां नहीं करता
- इस तरह 22 अप्रैल 2022 को डॉ. लाल सिंह को निदेशक बनाने के विधिवत आदेश हुए
- जबकि डॉ. लाल सिंह 28 जुलाई 2021 से खुद ही कर रहे थे निदेशक के सभी कार्य

9 महीने तक बिना किसी आदेश के निदेशक पद के कार्य संभालने वाले डॉ. लाल सिंह ने इस अवधि में करोड़ों रुपए की वित्तीय स्वीकृतियां जारी कर दी हैं. यहीं नहीं उन्होंने अधिकार नहीं होते हुए भी कई प्रशासनिक स्वीकृतियां दे दी. आपको बता दें कि गौशाला विकास योजना में इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े विकास कार्यों पर उन्होंने करीब 50 गोशालाओं के लिए करीब 3 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृतियां जारी कर दी. इस मामले में जब फर्स्ट इंडिया न्यूज ने डॉ. लाल सिंह का पक्ष जानने का प्रयास किया तो उन्होंने संवाददाता से सवाल सुनकर फोन काट दिया और इसके बाद दुबारा फोन नहीं उठाया.  

खबर के लिए जरूरी कागज और डॉ. लाल सिंह की फोटो असाइनमेंट के व्हाट्सएप पर भेजे हैं. साथ में डॉ. लाल सिंह के कमरे के विजुअल और निदेशक पद पर कामकाज के बोर्ड के विजुअल 9 मार्च के फोल्डर में Cow Embryo Scam नाम से सेव हैं. ध्यान दें कि वीडियों में से केवल शुरू के 1 मिनट 15 सैकंड तक के विजुअल ही लेवें और इसके बाद 2 मिनट 25 सैकंड से आगे गोपालन भवन बिल्डिंग के विजुअल उपयोग में लेवें. पीटीसी इन्जेस्ट फोल्डर में सेव है.