जयपुर: दीपावली पर प्रदेश को एनटीसीए से पांचवें टाइगर रिजर्व को लेकर शुभ सूचना मिली है. प्रदेश के पांचवें टाइगर रिजर्व का रास्ता साफ हो गया है. राज्य सरकार के प्रस्ताव पर एनटीसीए की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. अब जल्द ही एनटीसीए की तकनीकी कमेटी में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद धौलपुर टाइगर रिजर्व की मंजूरी जारी की जा सकती है. करीब 1105 वर्ग किलोमीटर के धौलपुर टाइगर रिजर्व में धौलपुर और करौली का वन क्षेत्र आता है जिसमें वर्तमान में करीब 10 बाघों का विचरण है.
प्रदेश के पांचवें टाइगर रिजर्व का रास्ता साफ
एनटीसीए की कमेटी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट
टाइगर रिजर्व अधिसूचित करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
प्रदेश का पांचवा रिजर्व होगा धौलपुर टाइगर रिजर्व
1105 वर्ग किलोमीटर का होगा धौलपुर टाइगर रिजर्व
धौलपुर और करौली जिले को मिलाकर तैयार किया गया है रिजर्व
वर्तमान में यहां करीब 10 बाघों का है विचरण
एनटीसीए की मंजूरी के बाद राज्य सरकार जारी करेगी अधिसूचना
प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल व फॉरेस्ट टीम के प्रयास हुए सफल
कुंभलगढ़ के टाइगर रिजर्व के दावे पर भी अब सरकार को लेना होगा फैसला
दीपावली से पहले प्रदेश के लिए सुखद खबर आई है. प्रदेश के पांचवें टाइगर रिजर्व होने का धौलपुर-करौली को गौरव मिलने जा रहा है. एनटीसीए की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. अब जल्द ही एनटीसीए की तकनीकी कमेटी की बैठक में इस रिपोर्ट को मंजूरी मिलने की उम्मीद है. इसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय धौलपुर टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी करेगा. करीब 1105 वर्ग किलोमीटर के इस प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में करीब 450 वर्ग किलोमीटर हिस्सा धौलपुर और 655 वर्ग किलोमीटर हिस्सा करौली जिले में आता है. यहां धौलपुर क्षेत्र में बाघ टी 116 और बाघिन टी 117 व उनके दो शावकों का विचरण है. हालांकि शावकों लंबे समय से किसी ने नहीं देखा है. करौली वन क्षेत्र में करीब 8 बाघों का विचरण है. राज्य सरकार ने धौलपुर टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव एनटीसीए को भिजवाया था. एनटीसीए की विशेषज्ञ समिति ने प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. अब एनटीसीए की तकनीकी समिति की आगामी बैठक में इस रिपोर्ट पर चर्चा कर मंजूरी दी जा सकती है. मंजूरी मिलते ही धौलपुर टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी.
प्रदेश में अभी रणथंभौर, सरिस्का, मुकंदरा और रामगढ़ विषधारी के तौर पर चार टाइगर रिजर्व हैं. हालांकि रणथंभौर, सरिस्का व मुकंदरा के बाद कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व के तौर पर अधिसूचित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था लेकिन राजनीतिक कारणों से इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इधर मुकंदरा भले ही तीसरा टाइर रिजर्व बना दिा गया हो लेकिन वहां 6 बाघों की मौत और पिछले दो साल से अकेले घूम रही बाघिन एमटी 4 को पार्टनर उपलब्ध न कराने से वन विभाग के प्रबंधन पर भी सवाल उठते रहे हैं. हालांकि अब प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल और पीसीसीएफ हॉफ डॉ डीएन पाण्डेय के प्रयासों से नए टाइगर रिजर्व और वन संरक्षण की दिशा में अच्छे कार्य हुए हैं. प्रदेश में वर्तमान में रणथंभौर में 75, सरिस्का में 25 और धौलपुर-करौली में दस बाघ सहित कुल 110 बाघ हैं. धौलपुर के पांचवें टाइगर रिजर्व बनते ही ही धौलपुर से मुकंदरा तक एक वृहद टाइगर कॉरिडोर की परिकल्पना पूरी हो जाएगी. इससे प्रदेश में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म तो बढ़ेगा ही वन और वन्य जीव संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.