जयपुर: जयपुर विकास प्राधिकरणों में कृषि भूमि के भू रूपांतरण के प्रकरणों के निस्तारण में बेवजह की देरी की जा रही है. इसके पीछे एकमात्र वजह यही है कि जोन के अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं हैं. इसके चलते आधे अधूरे मामले स्वीकृति के लिए जेडीए सचिव को भेजे जा रहे हैं. निस्तारण में भारी देरी का खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है. राजस्थान भू राजस्व अधिनियम के तहत कृषि भूमि के भू रूपांतरण के लिए जेडीए में विभिन्न जोनों के जोन उपायुक्त प्राधिकृत अधिकारी है, लेकिन इस अधिनियम की धारा 90 ए के तहत कृषि भूमि के भू रूपांतरण का आदेश ये प्राधिकृत अधिकारी जेडीए सचिव की स्वीकृति के बाद ही जारी करते हैं. लेकिन जोन उपायुक्तों की ओर से 90 ए के जो मामले स्वीकृति के लिए जेडीए सचिव को भेजे जा रहे हैं, उनमें कई कमियां हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं. बल्कि खुद जेडीए सचिव निशांत जैन की ओर से इस बारे में हाल ही जारी कार्यालय आदेश में ऐसी कई कमियों का खुलासा किया गया है. जोन उपायुक्तों की ओर से भेजे जाने वाले प्रकरणों में सामान्य सी कमियां छोड़ी जा रही हैं. भू रूपांतरण के लिए निर्धारित नियमों व विभिन्न परिपत्रों की ही जोन के स्टाफ की ओर से पालना नहीं की जा रही है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि जेडीए सचिव को भेजे जाने वाली 90 ए की फाइलों में किस तरह की सामान्य सी कमियां छोड़ी जा रही हैं.
फाइलों में छोड़ी जा रही हैं सामान्य कमियां:
-ले आउट प्लान में दर्शाए क्षेत्रफल का नियमानुसार विश्लेषण नहीं किया जा रहा
-प्रस्तावित भूमि के पहुंच मार्ग की मौके पर उपलब्ध चौड़ाई और उसके स्वामित्व के संबंध में स्पष्ट रिपोर्ट नहीं दी जा रही है
-नगर नियोजक से प्रमाणित मास्टर प्लान या जोनल प्लान की प्रति भी फाइल में नहीं भेजी जा रही
-राजस्व शाखा से खसरा सुपर इंपोजिशन के बाद प्रमाणित ले आउट प्लान व कनिष्ठ अभियंता से प्रमाणित सर्वे मानचित्र की प्रति नहीं भेजी जा रही
-प्रस्तावित भूमि के आस-पास,नदी,नाला या अन्य वाटर बॉडी की स्थिति और उसके बफर जोन के बारे में रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही है
-आवेदित भूमि मंदिर माफी,अदालती विवाद,किसी भी विभाग की अवाप्ति की कार्यवाही या सीलिंग से प्रभावित है या नहीं
-इसको लेकर तहसीलदार की रिपोर्ट भी फाइल में नहीं भेजी जा रही है
-पेट्रोल पंप से जुड़े मामलों में एनजीटी की गाइडलाइन की पालना में स्कूल,हॉस्पिटल,आवासीय क्षेत्र व वाटर बॉडी से दूरी को लेकर जानकारी नहीं भिजवाई जा रही है
-मास्टर प्लान के यू-2 में आने वाले प्रकरणों में राजस्व ग्राम की मूल आबादी से 500 मीटर की दूरी को लेकर राजस्व मानचित्र की प्रति फाइल में नहीं भेज रहे
-मास्टर प्लान या जोनल प्लान की सड़कों के लिए भूमि समर्पण की स्थिति में विधिवत समर्पणनामा भी फाइल में नहीं लगाया जा रहा
-90 ए की फाइल में अपलोड किए जा रहे मानचित्र,प्रारूप या प्रपत्र को यथा स्थान अपलोड नहीं किया जा रहा है
-90 ए के लिए जरूरी पहुंच मार्ग की चौड़ाई 12मीटर से कम होने पर पर जोन उपायुक्त की ओर से औचित्यपूर्ण अनुशंसा नहीं भेजी जा रही
-आवेदित भूमि को पहुंच मार्ग पूर्व अनुमोदित योजना की सड़क से उपलब्ध होने की स्थिति में इन दोनों योजनाओं को दर्शाने वाले मानचित्र की प्रति फाइल में नहीं लगाई जा रही
कृषि भूमि की 90 ए की कार्यवाही के लिए निर्धारित नियम व परिपत्रों की अवहेलना की जा रही है. जेडीए सचिव की ओर से इस 21 अगस्त को भी जोन उपायुक्तों को आदेश जारी कर हिदायत दी गई थी कि व नियम व परिपत्रों की संपूर्ण पालना करते हुए ही फाइल स्वीकृति के लिए भिजवाएं? इसके बावजूद भी भेजे जाने वाली फाइलो में कमियां छोड़ी जा रही हैं. आपको बताते हैं कि नियम व परिपत्र लागू होने और जेडीए सचिव की ओर से इस बारे में तीन महीने पहले ताकीद करने के बावजूद आखिर क्यों आधी-अधूरी फाइलों को स्वीकृति के लिए भेजा जा रहा है और इस समस्या समस्या का हल क्या है.
क्या है समस्या और समाधान?
-जेडीए सचिव निशांत जैन को जो भी 90 ए की फाइल स्वीकृति के लिए भेजी जाती है.
-जेडीए सचिव निशांत जैन उस फाइल को परीक्षण के लिए निदेशक नगर नियोजन विनय कुमार दलेला को भेजते हैं.
-निदेशक नगर नियोजन ने विनय कुमार दलेला ने ही फाइलों में छोड़ी जा रही कमियां चिन्हित कर ये कार्यालय आदेश जारी कराया.
-आधी-अधूरी फाइलों की कमी पूर्ति के चलते आवेदकों को जेडीए कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं.
-बेवजह की देरी केवल 90 के प्रकरणों में ही नहीं हो रही बल्कि यही हाल अन्य प्रकार के प्रकरणों में भी हैं.
-26 नवंबर तक के आकड़ों के मुताबिक जेडीए में अब भी 192 प्रकरण अवधि पार है.
-ये ऐसे प्रकरण है जिनके निस्तारण की समय सीमा बीत चुकी है, उसके बावजूद भी यह प्रकरण अब तक निस्तारित नहीं हुए हैं.
-अवधि पार प्रकरणों में पट्टे जारी करने के 104, नाम हस्तांतरण के 34 और पुनर्गठन/उप विभाजन के 32 प्रकरण शामिल हैं.
-अवधि पार प्रकरणों की पेंडेंसी में अब भी जेडीए के जोन 9 ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी हुई है.
-यह जोन 9 अब भी जेडीए के टॉप थ्री फिसड्डी जोन कार्यालयों में शामिल हैं, इस जोन में 23 अवधि पार प्रकरण है.
-यह तो तब है जब अन्य जोन उपायुक्त की तरह जोन 9 की जोन उपायुक्त के पास किसी अन्य जोन का अतिरिक्त कार्य भार नहीं हैं.
-जेडीए सचिव निशांत जैन ने 90 ए की भेजे जाने वाली फाइलों में भारी कमियां बताते हुए परिपूर्ण प्रकरण भेजने के कार्यालय आदेश तो जारी कर दिए.
-लेकिन क्या इस कार्यालय आदेश मात्र से समस्या का हल हो जाएगा?
-तीन महीने पहले भी इसी प्रकार का आदेश जारी किया था, लेकिन वह भी बेअसर रहा.
-तो क्या जेडीए सचिव निशांत जैन यह मानते हैं कि दूसरी बार जारी किए इस आदेश का व्यापक असर होगा?
-जानकारों के अनुसार जेडीए में लगे अधिकतर जोन उपायुक्त और उनका स्टाफ पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं हैं.
-जेडीए में एसीबी ट्रेप के बाद बड़े पैमाने पर जोन कार्यालयों के स्टाफ को इधर से उधर कर दिया गया.
-इन समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि जोन के अधिकारी-कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाए.
-विशेषज्ञों के माध्यम से 90 ए, पट्टा जारी करने, ले आउट प्लान स्वीकृति,
-उप विभाजन/पुनर्गठन,लैंड यूज चेंज आदि के निस्तारण की प्रक्रिया की प्रशिक्षण के लिए नियमित रूप से आमुखीकरण कार्यशालाएं आयोजित की जाएं.
-प्रशिक्षण के बाद इन अधिकारी-कर्मचारियों की लिखित परीक्षा भी व्यवस्था की जाए.
-यहीं नहीं इसके बावजूद जानबूझकर प्रकरण में कमी रखने वाले संबंधित कार्मिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.