जयपुर: गहलोत सरकार ने गांवों में किसानों की जमीन का डिजिटल लैंड रिकॉर्ड का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है. इसमें टेंडर स्तर तक पहुंचने वाला राजस्थान पहला राज्य है. इसके जरिये एक ओर जहां सीमा ज्ञान सहित अन्य विवाद के निपटारे किए जा सकेंगे तो वहीं दूसरी ओर घर बैठे ही बिना पटवारी के निवासी लैंड रिकॉर्ड रख सकेंगे. पूर्व में गूगल सैटेलाइट के जरिये नक्शे उपलब्ध करवाता था लेकिन अब नीति में बदलाव की वजह से राजस्थान सरकार ने जमीन के डिजिटल लैंड रिकॉर्ड का काम अपने हाथ में लिया. अब इसके लिए राजस्थान सरकार टेंडर प्रक्रिया करने जा रही है. इसे लेकर राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने समयबद्ध तरीके से कैलेंडर अनुसार काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं.
क्या होगा फायदा:
इससे लैंड का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जा सकेगा. सीमा ज्ञान और अन्य बिंदुओं को लेकर होने वाले विवादों का निपटारा हो सकेगा. किसान को बिना बैंक,पटवार सर्किल और तहसील कार्यालय गए अपने आप मिल सकेगी. धरा एप के जरिये बिना पटवारी के कागजात की नकल मिलना हुआ संभव. विश्वसनीयता से लोगों को जमीन का रिकॉर्ड मिल सकेगा. इसी की आगे की कड़ी में अब इसके जरिये स्वत: म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसी के साथ फसल खराबे के आकलन या गिरदावरी के लिए अब गिरदावर पर रहने के बजाय किसान खुद ही सत्यापित कर सकेगा.
इसके साथ ही कोर्ट के निर्देशों के अनुसार प्रतिबंध वाली जमीन में अतिक्रमण से जुड़े विवाद का निपटारा कलेक्टर को उसकी अध्यक्षता वाली कमेटी के जरिये दो माह में करना जरूरी कर दिया है. इसकी पालना नहीं होने पर परिवादी अवमानना का केस दायर कर सकता है. उधर गुलाब कोठारी मामले में अनियमितता को लेकर सरकार ने सूची मांगी है जिसमें आरोप साबित होने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिर सकती है.