बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्राप्त करने, उन्हें सहेजकर रखने, उनके भंडारण और उपयोग को लेकर अपने संबंधित अधिकारियों के आवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का आदेश दिया है. अदालत का यह निर्देश हत्या के एक आरोपी द्वारा दायर आपराधिक अपील पर आया है.
मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को उचित तरीके से संभालकर न रखे जाने के कारण आरोपी को अदालत ने बरी कर दिया था. हालांकि, अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि 2018 में एक मामले में उसके दिए निर्देशों का जांच अधिकारियों द्वारा सख्ती से पालन किया जाए. न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज और न्यायमूर्ति जी बसवराज की खंडपीठ ने चार नवंबर को अपने फैसले में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मधुकरा बनाम कर्नाटक राज्य और वीरेंद्र खन्ना बनाम कर्नाटक राज्य मामलों में जारी अदालत के निर्देशों का पालन करें. इन मामलों में अदालत ने सीडी, पेन ड्राइव आदि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के भंडारण के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे. इन दिशानिर्देशों में मोबाइल फोन को जब्त करने से पहले पासवर्ड और पिन जैसी सुरक्षा सेटिंग्स को हटाना शामिल है. हुक्केरी, बेलगावी निवासी शिवप्पा उर्फ शिवानंद हितनागी ने 2017 में खंडपीठ के समक्ष आपराधिक अपील दायर की थी. बेलगावी की एक सत्र अदालत ने शिवप्पा को हत्या का दोषी ठहराया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
बकरियां चराने गई एक महिला दो फरवरी, 2014 को लापता हो गई थी और तीन दिन बाद उसका शव मिला था. शिवप्पा पर उसकी हत्या का आरोप था और पुलिस ने उसके पास से पीड़िता की सोने की चेन बरामद करने का दावा किया था. शिवप्पा पर महिला की हत्या करने के बाद उसकी छह बकरियों की चोरी करने और उन्हें हुक्केरी से एक बस से ले जाकर संकेश्वर में बेचने का भी आरोप लगाया गया था. पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्र करने और दर्ज करने के तरीके में कई विसंगतियां पाईं. हत्या के मामले में शिवप्पा को बरी करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि यह कहना पर्याप्त है कि पूरी जांच में विवरण की कमी है और जांच की कड़ी स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं की गई है ताकि उचित संदेह से परे आरोपी का अपराध साबित हो सके. मामले को छह दिसंबर, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सोर्स- भाषा