नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने श्रद्धा वालकर हत्या मामले की जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने का आग्रह करने वाली एक जनहित याचिका मंगलवार को खारिज करते हुए उसे ‘प्रचार हित याचिका’ बताया. अदालत ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया लेकिन जुर्माना राशि नहीं बतायी.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि यह प्रचार हित याचिका है तथा याचिका में एक भी सही आधार नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि जिन स्थानों से शव के टुकड़े बरामद हुए हैं वहां मीडिया और लोगों की मौजूदगी के कारण सबूतों से छेड़छाड़ हुई. उसने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच के हर कदम पर मीडिया को हर जानकारी बतायी तथा कानून में इसकी मंजूरी नहीं है.
दोनों के बीच वित्तीय मुद्दों को लेकर आए दिन झगड़ा होता था:
आफताब को 12 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने दक्षिणी दिल्ली के महरौली इलाके में किराये के अपने फ्लैट में श्रद्धा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने कहा था कि आफताब ने श्रद्धा की गला घोंटकर हत्या की तथा उसके शव के करीब 35 टुकड़े किए जिसे उसने घर पर 300 लीटर के फ्रिज में लगभग तीन सप्ताह तक रखा और फिर उन्हें विभिन्न हिस्सों में कई दिनों तक फेंकता रहा. पुलिस ने बताया कि दोनों के बीच वित्तीय मुद्दों को लेकर आए दिन झगड़ा होता था. ऐसा संदेह है कि दोनों के बीच झगड़ा होने पर ही पूनावाला ने 18 मई की शाम को 27 वर्षीय श्रद्धा वालकर की हत्या कर दी थी. सोर्स- भाषा