VIDEO: गुलाबीनगरी में बढ़ता ध्वनि प्रदूषण भविष्य के लिए अलार्म, राजापार्क शांत तो परकोटे में बढ़ा शोर, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: दीपावली से पहले कानफाडू शोर राजधानी को चिड़चिड़ा बना रहा है. कोरोना अवधि में शांत दिखने वाले गुलाबीनगरी में अब हर जगह शोर है जो अच्छे संकेत नहीं दे रहा. आधुनिकता की अंधी दौड़ और देर रात तक खुलने वाले बाजार अब गुलाबी नगर की आवाज को भी कर्णप्रिय नहीं रहने दे रहे. लॉकडाउन के बाद भी राजधानी जयपुर में ध्वनि प्रदूषण तय मानकों से ज्यादा रहा. हालांकि कुछ स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण में कमी भी आई लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों गुलाबी नगर में शोर बढ़ता ही जा रहा है.

कोरोना के जाते ही ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि:
-राजापार्क 'शांत' तो परकोटे में बढ़ा 'शोर'
-पॉश कही जाने वाली सिविल लाइंस की रात में 9 फ़ीसदी बढा ध्वनि प्रदूषण
-शहर के समस्त चिन्हित स्थानों पर ध्वनि का स्तर निर्धारित मानकों से अधिक 
-प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सितंबर 2022 के आंकड़े किए जारी
-मानसरोवर, दुर्लभजी अस्पताल क्षेत्र में भी बढ़ा ध्वनि प्रदूषण
-साइलेंट, रेजिडेंशियल व कमर्शियल जोन में बढ़ा शोरगुल

गुलाबी नगर की आवाज अब कर्णप्रिय नहीं रही. प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के पहले 9 महीने की बात करें तो ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. दिन और रात दोनों के समय ध्वनि प्रदूषण सामान्य से अधिक पाया गया है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने राजधानी जयपुर में राज भवन के पीछे का उद्यान, मानसरोवर पटेल मार्ग का नगर निगम ऑफिस, शास्त्री नगर का साइंस पार्क, राजा पार्क गली नंबर 3, छोटी चौपड़ कोतवाली थाना और संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल के बाहर के क्षेत्र को प्रदूषण मापन से जोड़ रखा है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार साइलेंट जोन में मानक ध्वनि की सीमा 50 डेसिबल मानी गई है, जबकि आवासीय क्षेत्र में 55 डेसिबल और कमर्शियल क्षेत्र में 65 डेसिबल को मानक माना गया है. 

अब दिन के समय ध्वनि प्रदूषण की बात करें तो चालू वर्ष के पहले 9 महीने में राज भवन के पीछे उद्यान क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 73 डेसीबल तक पहुंच गया था. जबकि नगर निगम क्षेत्र मानसरोवर में 76, साइंस पार्क शास्त्री नगर करीब 75, राजा पार्क गली नंबर 3 में 72 से अधिक, कोतवाली थाना छोटी चौपड़ भी 77 से अधिक और साइलेंट जोन में माना जाने वाला संतोकबा दुर्लभजी का बाहरी क्षेत्र 77 डेसीबल तक रहा जो कि सामान्य से अधिक है. इसी तरह रात के समय की बात करें तो साइलेंट जोन में 40 डेसिबल, रेजिडेंशियल जोन में 45 और कमर्शियल जोन में 55 डेसिबल को मानक स्तर माना गया है लेकिन चालू वर्ष के पहले 9 महीने में राज भवन के पीछे उद्यान के क्षेत्र में 70, पटेल मार्ग मानसरोवर 70 डेसिबल, शास्त्री नगर 68 डेसिबल, राजा पार्क 70 डेसिबल, छोटी चौपड़ 73 डेसिबल और संतोकबा दुर्लभजी के बाहरी क्षेत्र में 73 डेसीबल तक ध्वनि प्रदूषण रहा. अब वर्ष 2021 में इसी अवधि में ध्वनि प्रदूषण के स्तर से तुलना की जाए तो राज भवन के पीछे उद्यान क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण में दिन के समय में 4% और रात के समय में 9% वृद्धि हुई है. ध्यान रहे यह वही क्षेत्र है जहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अन्य सदस्य भी रहते हैं. 

संतोकबा दुर्लभजी क्षेत्र में 2021 की तुलना में दिन के समय में ध्वनि प्रदूषण 2 प्रतिशत ज्यादा हुआ है जबकि रात के समय में 3% बढ़ा. मानसरोवर की बात करें तो दिन के समय में 4% और रात के समय में 2% की वृद्धि हुई है. शास्त्री नगर की बात करें तो दिन के समय में 2% और रात के समय में 5% की वृद्धि हुई है. सिविल लाइंस में दिन में ध्वनि प्रदूषण में 5 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. राजा पार्क की बात करें तो दिन के समय में 6% की वृद्धि और रात के समय में 2% की कमी आई है. छोटी चौपड़ परकोटा क्षेत्र की बात करें तो दिन के समय में 4% और रात के समय में 1% बढ़ा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजधानी में शोर आदर्श स्थिति से ज्यादा बढ़ रहा है जो बिल्कुल सही नहीं कहा जा सकता. ध्वनि प्रदूषण का जो ट्रेंड राजधानी मेंं सामने आया है भविष्य के लिए अलार्म कहां जा सकता है. इससे शारीरिक व्याधि बढ़ने के साथ ही राजधानी के स्वभाव के में चिड़चिड़ापन आ सकता है जो पर्यटन के शहर की सेहत के लिए कतई ठीक नहीं है.