उदयपुर: देश-प्रदेश में विकास और तरक्की के प्रतिदिन लाखों दावे और वादे होते हैं. लेकिन इन सब के उलट आदिवासी बहुल्य उदयपुर (Udaipur) अंचल में मूलभूत सुविधाओं का भी नितांत अभाव है. यही वजह है कि अपनी जान जोखिम में डालकर उदयपुर के सराड़ी गांव के ग्रामीण रोज अपने कृषि कार्यों को पूर्ण करने के लिए खेत पर पहुंचते हैं. अब ये ग्रामीण कैसे जान जोखिम में डालकर अपने कृषि कार्य कर रहे हैं.
अपनी जान हथेली पर लेकर प्रतिदिन के कृषि कार्य पूर्ण करने अपने खेत पर जा रहे हैं. ये ग्रामीण महिला और पुरुष उदयपुर के सलूंबर उपखंड के सराड़ी ग्राम पंचायत के हैं. दरअसल, सराड़ी से गिंगला और राज्यमार्ग 53 को जोड़ने वाली गोमती नदी पर बनी रपट वर्षों से क्षतिग्रस्त है. वर्षाकाल में ये रपट न केवल पूरी तरह जयसमंद झील के बैक वाटर से डूबी रहती है बल्कि जानलेवा भी हो जाती है.
लेकिन जीवन यापन के लिए सराड़ी ग्राम पंचायत के किसानों को नदी के दूसरे छोर पर स्थित अपने खेतों तक पहुंचने के लिए जान का जोखिम उठाना ही पड़ता है. यही नहीं यह रपट कुछ महीनों और साल दो साल से नहीं बल्कि पिछले 5 सालों से क्षतिग्रस्त पड़ी है. दर्जनों बार स्थानीय ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अपनी इस समस्या से रूबरू भी कराया है लेकिन आज तक इसका कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है सिवाय आश्वासनों के.
आयुक्त को लिखे पत्र का नतीजा विफल:
इस संबंध में इसी गांव के निवासी चंद्रशेखर जोशी ने मुख्य मंत्री, जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त को भी कई पत्र लिखे लेकिन नतीजा विफल ही रहा. कुल मिलाकर देखने में आया है कि जब तक इस तरह की जानलेवा समस्याओं में किसी व्यक्ति की जान नहीं चली जाती प्रशासन चेतता नहीं है. ऐसे में शायद इस मामले में भी जिम्मेदार अधिकारी किसी दुर्घटना के होने का इंतजार कर रहे हैं और शायद ग्रामीणों को भी इस बात का एहसास हो चुका है.