नई दिल्ली : एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में 3.5 अरब वर्ष पुरानी ज्वालामुखीय और तलछटी चट्टानें हैं और इसका भूगर्भीय इतिहास दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों से मिलता-जुलता है. दक्षिण अफ्रीका के विट्स विश्वविद्यालय तथा जोहानिसबर्ग विश्वविद्यालय के अलावा ‘चाइनीज एकैडमी ऑफ साइंसेज’ के शोधकर्ताओं ने पूर्वी भारत में सिंगभूम क्रेटॉन में ‘दैतारी ग्रीनस्टोन बेल्ट’ से प्राप्त ज्वालामुखीय और तलछटी चट्टानों का अध्ययन किया. ये चट्टानें करीब 3.5 अरब वर्ष पुरानी हैं.
ग्रीनस्टोन चट्टानों का विकास
क्रेटॉन्स प्राचीन महाद्वीपों के हिस्से हैं, जो कई अरब वर्ष पहले निर्मित हुए थे. इनके अध्ययन से यह समझने का मौका मिलता है कि अतीत में पृथ्वी के अंदर तथा पृथ्वी की सतह पर किस तरह की प्रक्रियाएं होती थीं. शोधकर्ताओं ने प्राचीन ग्रीनस्टोन चट्टानों का भूगर्भीय मूल्यांकन करने के लिए व्यापक अध्ययन किया. साथ ही यूरेनियम-लेड (यू-पीबी) रेडियोमेट्रिक अध्ययन से यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि यह चट्टानें कितनी पुरानी हैं.
‘प्रीकैम्ब्रियन रिसर्च’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन ने अहम भूगर्भीय समयरेखाओं की जानकारी दी जो दैतारी ग्रीनस्टोन्स के विकास को दर्शाती हैं. विट्स विश्वविद्यालय के जगनमॉय जोड्डेर ने कहा कि दैतारी ग्रीनस्टोन बेल्ट की तुलना यदि दक्षिण अफ्रीका के बार्बरटन और नोंडवेनी क्षेत्रों में पाए गए ग्रीनस्टोन और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पिलबारा क्रेटॉन में पाए गए ग्रीनस्टोन से की जाए तो पता चलता है कि इनकी भूगर्भीय संरचना समान है. सोर्स भाषा