VIDEO: बसपा में फिर टूट ! अबकी बार हाथ ने नहीं शिंदे ने तोड़ी बसपा, दो विधायक टूट कर पहुंचे शिवसेना शिंदे में, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: आखिरकार एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी में टूट हो गई.बीएसपी के दोनों विधायक शिवसेना शिंदे में चले गए.बसपा विधायकों मनोज न्यांगली और जसवंत सिंह बाड़ी ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थाम लिया.बसपा के विधायक पहले भी दो बार 2008 और 2018 मे चुनाव जीतने के कुछ समय बाद पार्टी बदल चुके हैं.हालांकि इस बार सत्ताधारी दल के साथ ना जाकर राजस्थान के लिए बिल्कुल नए दल शिवसेना शिंदे में चले गए .अलबत्ता विधानसभा के रिकॉर्ड में दोनों विधायक बसपा के खाते में है उधर शिवसेना शिंदे के कार्यक्रमों में भी दोनों नहीं जा रहे बसपा और शिवसेना शिंदे दोनों पशोपेश में है. 

खुले तौर पर राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के दोनों विधायक शिवसेना शिंदे का दामन थाम चुके लेकिन तकनीकी तौर पर अभी भी दोनों विद्यायक बसपा के ही है ऐसा हम नहीं कह रहे विधानसभा का रिकॉर्ड कह रहा .विधायक मनोज न्यांगली और जसवंत बाड़ी ने शिवसेना शिंदे के प्रति निकटता तो दिखा दी मनोज को तो शिवसेना शिंदे का राज्य प्रमुख भी बना दिया लेकिन दोनों विद्यायक शिवसेना शिंदे के कार्यक्रमों में नहीं जा रहे.शिवसेना शिंदे के प्रदेश अध्यक्ष पदभार ग्रहण कार्यक्रम में भी नजर नहीं आए अलबत्ता ये जरूर कह रहे हम शिवसेना शिंदे के साथ.शिवसेना शिंदे के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन अभिजीत अडसूल ने भी कहा था दोनों विद्यायक हम से जुड़ चुके. लेकिन विधायकों के पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी ने से शिवसेना शिंदे को पशोपेश में डाल दिया है.

उधर ताजा घटना क्रम से राज्य की बहुजन समाज पार्टी भी पशोपेश में है. बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि दोनों विधायक लंबे समय से पार्टी में सक्रिय नहीं है.उल्लेखनीय है बीते विधानसभा चुनावों में  राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा ने दो सीट जीती थीं.चूरू की राजगढ़ सादुलपुर सीट पर मनोज न्यांगली ने कांग्रेस की कृष्णा पूनिया को 2475 वोट से शिकस्त दी थी धौलपुर के बाड़ी में जसंवत सिंह गुर्जर ने तीन बार के विधायक और भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी गिर्राज सिंह मलिंगा को 27,424 वोटों से हराया थामलिंगा ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. 

शिवसेना शिंदे से राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने उदयपुरवाटी से चुनाव लड़ा था मगर हार गए थे गुढ़ा जबकि उससे पहले बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. न्यांगली और जसवंत दोनों को तत्कालीन महाराष्ट्र सीएम और शिवसेना शिंदे के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने काफी पहले ही बीते साल अप्रैल में दोनों विधायकों को अपने दल में शामिल होने का ऐलान कर दिया था. तब एकनाथ शिंदे ने कहा था राजस्थान और महाराष्ट्र का एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध है. राजस्थान वीर महाराणा प्रताप की भूमि है तो महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है. उनके विचारों को अपनाकर हमारी सरकार आगे बढ़ रही है और इस धरती से दो नए शिलेदारों के शिवसेना में शामिल होने से राजस्थान में शिवसेना और मजबूत हो गई है.

राजस्थान में बसपा का विभाजन का इतिहास:
-साल 2008 

-बसपा के छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए
-छह विधायक कांग्रेस में गए
-राजस्थान में 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के खाते मे छह सीट आई थी
-उस समय नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा, गंगापुर से रामकेश मीणा, सपोटरा से -रमेश मीणा, दौसा से मुरारीलाल मीणा और बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा बसपा के टिकट पर जीते थे
-पहले इन्होंने बाहर से समर्थन देकर अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनाई
-फिर बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय हो गया
-राजकुमार शर्मा,मुरारी लाल मीणा, राजेंद्र सिंह गुढ़ा मंत्री बन गए
-रमेश मीणा,रामकेश मीना और मलिंगा भी कांग्रेस में शामिल हो घायल

दूसरी बार बसपा टूटी 2018 में:
-2018 में बसपा से जीत कर आए जोगिन्दर सिंह अवाना, दीपचंद खेरिया, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, लाखन सिंह मीणा, -वाजिब अली और संदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए थे
-तत्कालीन सीएम गहलोत ने इन सभी को सरकार में पद से नवाजा
-वाजिब अली और लाखन मीना को तो कांग्रेस का टिकट भी मिला
-राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने लाल डायरी प्रकरण के बाद कांग्रेस को छोड़ दिया और शिवसेना शिंदे का दामन थाम लिया
-महाराष्ट्र के तात्कालीन सीएम एकनाथ शिंदे भी उनके निर्वाचन क्षेत्र में कार्यक्रम में आए

विधायक मनोज न्यांगली ने शिवसेना शिंदे के साथ जाने की हामी भरी और साथ ही ये भी कह दिया कि जल्द ही विधानसभा सचिवालय को अवगत करा दिया जाएगा.दूसरी ओर शिवसेना शिंदे की राज्य इकाई विधायकों के घटनाक्रम से अनभिज्ञ है.