VIDEO: ऑर्गन ट्रांसप्लांट की NOC में फर्जीवाड़े का बड़ा खेल ! तीन आरोपी गिरफ्तार, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: एसीबी ने एसएमएस अस्पताल में अंगदान की मुहिम में हो रही गडबड़ झाले से पर्दा उठाकर कर निजी अस्पतालों से साथ-साथ सरकारी अधिकारियों की पोल खोलना शुरू कर दिया हैं. फर्जी तरीके से निजी अस्पतालों को जारी हो रही एनओसी ने साबित कर दिया है कि कैसे जिन हाथों पर इस मुहीम को सफल और पारदर्शी बनाने की जिम्मेदारी थी वह हाथ इस फर्जीवाडे में लिप्त हैं.

एसीबी ने एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह, EHCC अस्पताल के कॉ ऑडिनेटर अनिल जोशी को गिरफ्तार किया तो पता चला की फोर्टीज अस्पताल का कॉ ऑडिनेटर विनोद सिंह ने कुछ समय पहले पैसा देकर फर्जी सर्टिफिकेट लेकर गया हैं. जिसे एसीबी ने सोमवार दोपहर में गिरफ्तार किया, एसीबी डीआईजी डॉक्टर रवि ने बताया कि जांच के दौरान आरोपी गौरव सिंह के आवास से करीब 150 से अधिक सर्टिफिकेट मिले. आरोपी के पास जो तीन सर्टिफिकेट मिले वह तीनों नेपाल के लोगों के थे. जिस से जानकारी मिल रही है कि ये लोग बाहर के लोगों का अंगों को डोनेट या खरीद फरोख्त कर रहे थे. करीब 75 सर्किटिफेट तैयार थे जिसे देना बाकी था. इन सभी सर्टिफिकेट के साथ-साथ एसीबी ने आरोपियों के लैपटॉप,हार्ड डिस्क और कुछ अन्य वस्तु जब्त कर ली हैं. एसीबी ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर चार दिन का रिमांड लिया हैं. 

राजस्थान में जो अधिकृत निजी अस्पताल है ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने वाले, वहां ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए एनओसी के लिए स्टेट लेवल कोऑर्डिनेट सेंटर एसएमएस अस्पताल है. इस कमेटी में चार डॉक्टर्स की कमेटी होती है लेकिन ऐसा अभी तक की जांच में सामने आया है कि इस कमेटी की अधिकृत मीटिंग के बिना ही गिरफ्तार हुए रैकेट ने एनओसी जारी कर देते थे. इस पूरे मामले में उच्च स्तर पर मेडिकल स्टॉफ की मिलीभगत और अंगों की तस्करी होने की सम्भावना से भी फिलहाल इनकार नहीं किया जा सकता.

वर्ष 2023 के मिड से कमेटी ने एक भी अंग प्रत्यारोपण को लेकर बैठक नहीं है. पिछले 8 माह में अगर एक भी बैठक नहीं हुई तो प्रदेश से 12 निजी अस्पताल कैसे अंग प्रत्यारोपण कर रहे हैं. ये अस्पताल सफल किडनी,लीवर,हार्ड के प्रत्यारोपण की खबरे ना केवल अखबारों में छपा रहे हैं अपितु अपने हॉर्डिंग्स बाजार में लगा कर दिखा रहे हैं. एसीबी के अधिकारियों ने नाम ना छापने पर बताया कि अगर कमेटी समय-समय पर बैठक लेती तो यह फर्जी सर्टिफिकेट जारी नहीं होते. कमेटी ने पिछले 8 माह में बैठक क्यों नहीं ली इस की जांच की जाएगी. अस्पताल के सभी दस्तावेजों को सीज कर दिया गया हैं. एसीबी ने उस कमरे को भी सील कर दिया है जहां पर आरोपी गौरव बैठ कर फर्जी सर्टिफिकेट जारी किया करता था. एसीबी इन तीनों से होने वाले पूछताछ के बाद कमेटी के सदस्यों से भी पूछताछ करेगी. सम्भवत पहले नोटिस जारी होंगे जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

डॉ रवि ने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर के कई सर्जरी की गई है और कई सर्जरी होने वाली हैं. दस्तावेजों की जांच करने के बाद अस्पतालों को लिखा जाएगा की इन केसों की सर्जरी ना की जाए इस में जो एनओसी जारी हुई है वह गलत हुई हैं. इसे लेकर एसीबी कमेटी के सदस्यों से भी आने वाले दिनों में मदद ले सकती हैं. एसीबी ने इतिहास में पहले बार पीसी एक्ट के साथ-साथ फर्जी दस्तावेज तैयार कर आर्गन डोनेट करने की धाराएं लगाई हैं. अस्पताल के डॉक्टरों का इस पूरे केस में मिली भगत या नहीं इस पर अभी एसीबी कुछ नहीं कह रही लेकिन एसीबी के डीआईजी का कहना है कि अभी जांच जारी हैं जो भी दायरे में आएंगे उन से पूछताछ होगी. इस केस में इंटरनेशनल पेशेंट भी शामिल हैं अगर वह ऑर्गन ट्रांसप्लान कराते हैं तो उन्हे भी एनओसी लेनी पडती हैं.